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कलेक्टर ने अफसरों को क्यों लगाई फटकार

locationउज्जैनPublished: Jan 04, 2019 12:24:20 am

Submitted by:

Gopal Bajpai

बैठक व्यवस्था को बिगड़ता देख तहसीलदार पर जताई नाराजगी

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नागदा. पाले से नष्ट हुई फसलों का मौका मुआयना करने गुरुवार को मनीष सिंह शहर पहुंचे। खेतों में पहुंचकर फसलों का सर्वे करने के बाद कलेक्टर सिंह ने पटवारियों, कृषि विस्तार अधिकारी, आरआइ, गिरधावरों की बैठक सर्किट हाउस में आहुत की। फसल नुकसानी का सटिक आंकड़े नहीं बता पाने के कारण कलेक्टर ने अफसरों को जमकर फटकार लगाई।
बैठक में कृषि विभाग एसडीओ केएस मालवीय द्वारा भेजी गई रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए यह तक कह डाला कि यदि वास्तविक रिपोर्ट बैठक में साझा किया जाए तो आप सब परेशानी में आ जाएंगे। इधर पटवारियों से कलेक्टर द्वारा डालर चने में प्रति हैक्टेयर हुए नुकसानी व अनुमानित उपज के बारे में जवाब मांगा गया। पटवारियों द्वारा सही जवाब नहीं दिए जाने से असंतुष्ट कलेक्टर द्वारा उन्हें ग्राउंड पर जाकर सही रूप से फसलों का सर्वे व आगामी 10 दिनों में पूरे विकासखंडनागदा-खाचरौद के किसानों को हुई क्षति की रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात कही गई। चर्चा के दौरान कलेक्टर ने विधायक दिलीपसिंह गुर्जर को रोकते हुए अपनी बात रखी। कलेक्टर ने सर्वे व अनुमान के आधार पर सबसे अधिक नुकसानी डालर चने में बताते हुए 85 प्रतिशत फसल खराब होने की बात कही है।
नहीं हो पाई पर्याप्त कुर्सियों की व्यवस्था
बैठक की व्यवस्थाओं को तहसीलदार सुनील करवरे द्वारा संभाली गई थी लेकिन बैठक में पहुंचे अधिकारियों को पर्याप्त मात्रा में कुर्सियां नहीं मिल पाने से कलेक्टर सिंह ने तहसीलदार पर नाराजगी जताई। कलेक्टर का गुस्सा होना जायज रहा। कारण दर्जनों विभाग के अफसरों व कर्मचारियों के पहुंचने के बावजूद बैठने के लिए तहसीलदार द्वारा कुर्सियां नहीं मंगवाई गई थी। बैठक में मौजूद कई आरआइ व पटवारियों को खड़े होकर कलेक्टर से चर्चा करना पड़ा। एक घंटे बाद टेंट हाउस संचालक को फोन कर तहसीलदार ने ताबड़तोड़ में कुर्सियां मंगवाई तब जाकर अन्य लोग बैठ सके।
अधिक मिले मुआवजा, साथ ही कोई किसान छूटे नहीं
बैठक में उपस्थित अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कलेक्टर ने यह कहा, कि मैंने स्वयं मौके पर जाकर फसलों में हुए नुकसान को देखा है। जैसा कि कृषि विभाग के एसडीओ ने बताया कि सिंचित इलाकों में कम नुकसान हुआ है। वहीं असिंचित व नदी से दुरस्त स्थानों पर चने की फसल पूरी तरह से जल गई है। कई स्थानों पर चने का स्वरूप काला हो गया है। इस प्रकार प्रति बीघा किसान को बमुश्किल से उपज प्राप्त हो सकेगी। इधर विकासखंड में आगामी 10 दिनों के भीतर फसलों का सर्वे पूरा करने, कम नुकसानी पर अधिक मुआवजा दिए जाने के संबंध में भी कलेक्टर सिंह ने उपस्थितों को निर्देशित किया। अधिकारियों से चर्चा के दौरान परेशान होने पर कलेक्टर ने उपस्थित मीडियाकर्मियों को बैठक से बाहर जाने का कह दिया।
जल संरक्षण अधिनियम को लेकर बोले कलेक्टर
जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने जल संरक्षण अधिनियम के अपने ही आदेश पर शिथिलता बरतने को अधिकारियों से कहा है। पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि आपके द्वारा लागू किए गए जल संरक्षण अधिनियम को लेकर स्थानीय अधिकारी गंभीर दिखाई नहीं पड़ रहे है। चंबल से हो रहे पानी के दोहन को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। कलेक्टर का जवाब था कि नागदा जैसे शहर में जल संरक्षण अधिनियम को सख्ती से लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि चंबल नदी के किनारे जो ईट भट्टों का कारोबार चलता है उनमें हजारों की संख्या में मजदूर काम करते है। यदि अधिनियम को सख्ती से लागू किया गया और ईट भट्टे संचालकों को पानी लेने पर रोक लगा दी। तो इन मजदूर परिवार के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। गौरतलब है कि जिला कलेक्टर ने पानी की कमी को देखते हुए 8 नवंबर 2018 को प्राकृतिक जल स्त्रोतों पर जल संरक्षण अधिनियम लागू कर अधिकारियों को पानी सरंक्षण करने के निर्देश दिए है।

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