यह है गड़बड़ी करने का आरोप
एविएशन विभाग ने वर्ष 2006 में यश एययरवेज लिमिटेड कंपनी को दताना-मताना हवाई पट्टी को १० वर्ष की लीज पर दिया था। इसमें शर्त थी कि कंपनी सालाना १.५० लाख रुपए किराया देगी। वहीं इसकी मरम्मत का काम लोक निर्माण विभाग करेगा। इसकी निगरानी कलेक्टर को करना थी। स्थिति यह रही कि वर्ष 2006 में हुए समझौते में यश एयरवेज ने सिर्फ एक बार सालाना किराया जमा करवाया। वर्ष २०१३ तक किराए की वसूली तत्कालीन कलेक्टरों ने नहीं की। वहीं समय-समय पर हवाई पट्टी की मरम्मत पीडब्ल्यूडी ने की लेकिन यश एयरवेज से रुपए नहीं लिए। वहीं वर्ष 2013 में तत्कालीन कलेक्टर ने 2.66 करोड़ का प्रस्ताव भेजकर सरकारी खर्च से हवाई पट्टी का रखरखाव करवाया, जबकि उस समय कंपनी के साथ एग्रीमेंट लागू था, इसे निरस्त किए बिना ही रखरखाव खर्च कर दिया।
इन पर दर्ज हुआ प्रकरण
कलेक्टर- शिवशेखर शुक्ला, अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम गीता, बीएम शर्मा, कवींद्र कियावत
कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी – एसएस सलूजा, एके टूटेजा, जीपी पटेल
यश एयरवेज के डायरेक्टर – अरुण गुर्टू, यशपाल टोंगिया, भरत टोंगिया, शिरिष दलाल, विजेंद्र कुमार जैन, दुष्यतंलाल कपूर, शिवरमा, दिलीप रावल (नोट- यह सभी आठ लोग यश एयरवेज लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर हैं। अब इस कंपनी का नाम टंकार एविऐशन एकेडमी हो गया है।)
गुर्टू रहे लोकायुक्त के डीजीपी
यश एयरवेज कंपनी में जिन डायरेक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है उनमें अरुण गुर्टू लोकायुक्त के पूर्व डीजीपी भी रहे हैं। आरोप है कि एविएशन विभाग के अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के प्रमुख व मुख्य सचिव सहित अन्य आला अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर पहले तो यश एयरवेज को हवाई पट्टी पर लीज दी गई और बाद में उससे रुपए भी वसूला नहीं गया।
इनका कहना
यश एयवरेज कंपनी को लीज पर दी गई हवाई पट्टी की शर्तों का पालन नहीं करने और सरकारी खर्च से मरम्मत करवाने के मामले में पांच कलेक्टर, तीन पीडब्ल्यूडी कार्यपालन यंत्री व कंपनी के डायरेक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
– बसंत श्रीवास्तव, जांच अधिकारी, लोकायुक्त