scriptलोकायुक्त के चंगुल में क्यों फंसे उज्जैन के पांच कलेक्टर और तीन इंजीनियर | Why five Ujjain collectors and three engineers trapped in the clutches | Patrika News

लोकायुक्त के चंगुल में क्यों फंसे उज्जैन के पांच कलेक्टर और तीन इंजीनियर

locationउज्जैनPublished: Dec 01, 2019 10:39:39 pm

यश एयरवेज कंपनी को लीज पर दिए गए दताना-मताना हवाई पट्टी का न किराया न मरम्मत का खर्च वसूला, उल्टा 2.66 करोड़ के सरकारी खर्च से बनवा दी थी हवाई पट्टी, कंपनी के आठ डायरेक्टर के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया

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यश एयरवेज कंपनी को लीज पर दिए गए दताना-मताना हवाई पट्टी का न किराया न मरम्मत का खर्च वसूला, उल्टा 2.66 करोड़ के सरकारी खर्च से बनवा दी थी हवाई पट्टी, कंपनी के आठ डायरेक्टर के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज किया

 

उज्जैन. देवास रोड स्थित दताना-मताना हवाई पट्टी को यश एयरवेज कंपनी को लीज पर देने के बाद उससे किराए व रखरखाव की राशि वसूल नहीं करने और उल्टे सरकारी खर्च के हवाई पट्टी की मरम्मत कराने के मामले में लोकायुक्त पुलिस ने उज्जैन में पदस्थ रहे पांच कलेक्टर, लोकनिर्माण विभाग के तीन कार्यपालन यंत्री तथा यश एयरवेज के आठ डायरेक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। आरोप है कि इन्होंने वर्ष 2006-07 में दिए लीज पर दी गई हवाई पट्टी का 10.50 लाख रुपए का किराया यश एयरवेज कंपनी से नहीं वसूला और वर्ष 2013 में कंपनी से अनुबंध होने के बाद भी 2.66 करोड़ रुपए के सरकारी खर्च से हवाई पट्टी का रखरखाव करवाया। मामले में लोकायुक्त पुलिस अब भोपाल में एविएशन के अधिकारी व पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव सहित अभियंता की भूमिका की भी जांच करने की बात कह रही है।

यह है गड़बड़ी करने का आरोप
एविएशन विभाग ने वर्ष 2006 में यश एययरवेज लिमिटेड कंपनी को दताना-मताना हवाई पट्टी को १० वर्ष की लीज पर दिया था। इसमें शर्त थी कि कंपनी सालाना १.५० लाख रुपए किराया देगी। वहीं इसकी मरम्मत का काम लोक निर्माण विभाग करेगा। इसकी निगरानी कलेक्टर को करना थी। स्थिति यह रही कि वर्ष 2006 में हुए समझौते में यश एयरवेज ने सिर्फ एक बार सालाना किराया जमा करवाया। वर्ष २०१३ तक किराए की वसूली तत्कालीन कलेक्टरों ने नहीं की। वहीं समय-समय पर हवाई पट्टी की मरम्मत पीडब्ल्यूडी ने की लेकिन यश एयरवेज से रुपए नहीं लिए। वहीं वर्ष 2013 में तत्कालीन कलेक्टर ने 2.66 करोड़ का प्रस्ताव भेजकर सरकारी खर्च से हवाई पट्टी का रखरखाव करवाया, जबकि उस समय कंपनी के साथ एग्रीमेंट लागू था, इसे निरस्त किए बिना ही रखरखाव खर्च कर दिया।

इन पर दर्ज हुआ प्रकरण
कलेक्टर- शिवशेखर शुक्ला, अजातशत्रु श्रीवास्तव, डॉ. एम गीता, बीएम शर्मा, कवींद्र कियावत

कार्यपालन यंत्री, पीडब्ल्यूडी – एसएस सलूजा, एके टूटेजा, जीपी पटेल
यश एयरवेज के डायरेक्टर – अरुण गुर्टू, यशपाल टोंगिया, भरत टोंगिया, शिरिष दलाल, विजेंद्र कुमार जैन, दुष्यतंलाल कपूर, शिवरमा, दिलीप रावल (नोट- यह सभी आठ लोग यश एयरवेज लिमिटेड कंपनी के डायरेक्टर हैं। अब इस कंपनी का नाम टंकार एविऐशन एकेडमी हो गया है।)


गुर्टू रहे लोकायुक्त के डीजीपी

यश एयरवेज कंपनी में जिन डायरेक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है उनमें अरुण गुर्टू लोकायुक्त के पूर्व डीजीपी भी रहे हैं। आरोप है कि एविएशन विभाग के अधिकारी, पीडब्ल्यूडी के प्रमुख व मुख्य सचिव सहित अन्य आला अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर पहले तो यश एयरवेज को हवाई पट्टी पर लीज दी गई और बाद में उससे रुपए भी वसूला नहीं गया।


इनका कहना

यश एयवरेज कंपनी को लीज पर दी गई हवाई पट्टी की शर्तों का पालन नहीं करने और सरकारी खर्च से मरम्मत करवाने के मामले में पांच कलेक्टर, तीन पीडब्ल्यूडी कार्यपालन यंत्री व कंपनी के डायरेक्टरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।
– बसंत श्रीवास्तव, जांच अधिकारी, लोकायुक्त

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