कीर्ति मंदिर में आयोजित उद्यमिता जागरूकता शिविर में महिलाओं को सफल उद्यमी बनने के टिप्स दिए गए। न सिर्फ उन्हें उनकी उद्यमिता की नैसर्गिक योग्यताओं की जानकारी दी बल्कि उद्योग प्रारंभ करने या प्रचलित उद्योग-व्यवसाय को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शन मिला। शिविर में विक्रम विवि के सेवानिवृत्त प्रो. डॉ. राकेश डंड इडीआइआइ के डायरेक्टर डॉ. सुनील शुक्ला, भरत भूषण शुक्ला, डॉ. अमितकुमार द्विवेदी, डॉ. प्रियंका मोक्षमर, हरमित कौर, अतुल बजाज आदि ने उद्योग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
उद्यमिता के लिए तीन बातें जरूरी
नॉलेज- सरकार की स्कीम क्या है, फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट की स्कीम क्या है, क्या-क्या बिजनेस अपाच्र्युनिटी है, कितने व्यवहारिक हैं आदि।
स्किल- मार्केट सर्वे कर जानेंगे किस चीज की कितनी डिमांड है। किस तरह के प्रोडक्ट बाजार में हैं। विभिन्न प्रोजेक्ट के बीच डिमांड सप्लाय आदि का गैप क्या है। इस गैप में हमारे के लिए क्या अवसर है आदि।
एप्टिट्यूट- उद्यमिता में कौशल से ज्यादा महत्वपूर्ण विचार है। किस नजरिए से समाज की समस्याओं में अवसर को देखते हैं। दायरे से निकलकर क्या नया सोचते हैं, नई पहल करते हैं।
उद्यमिता की दो बड़ी रिस्क
सिकिंग द बोट- इसका मतलब नाव का डूबना है। मसलन राशि लगाई, प्रोडक्ट लांच किया लेकिन कमजोर तैयारी या अन्य किसी कारण से प्रोडक्ट फेल हो गया।
मिसिंग द बोट- इसका मतलब नाव छूटना है। मार्केट सर्वे किया, डिजाइन तय की, बाजार को देखा आदि तैयारी की लेकिन इसमें इतना समय लगा दिया कि लांचिंग से पहले अन्य ने वैसा ही प्रोडक्ट लांच कर दिया।
बोले विशेषज्ञ
दायरे से बाहर आएं
एक कागज पर बने नो डॉट्स को चार लाइन से क्रास करने के गेम में अधिकांश लोग उन डॉट्स में उलझ कर रह जाते हैं। जो नया सोचता हैं, सफल हो जाता हैं। उद्यमिता भी ऐसा ही है, कुछ हटकर सोचने और उस पर काम करने की आदत सफल उद्यमी बनाती है। एक घरेलू महिला जब कुछ अलग पकवान बनाने का सोचती है, यह उसकी नैसर्गिक उद्यमिता स्किल है। नया सोचना, सृजनात्मकता और संघर्ष उद्यमिता के आधार हैं।
– डॉ. राकेश डंड, सेवानिवृत्त प्रोफेसर
जीवन पद्धति है उद्यमिता
उद्यमिता सिर्फ एक करियर नहीं है, यह जीवनपद्धति है। लाइफ स्किल है, स्टेट ऑफ माइंड है। उद्यमिता में जो एप्टीट्यूट है, इसकी सबसे ज्यादा महत्ता होती है। वर्तमान में उद्यमिता क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। सामान्य व्यक्ति के लिए घर से निकलने के साथ समस्या शुरू हो जाती है, जैसे रिक्शा नहीं मिलता, समय से पहुंच नहीं पाते, विभाग से जानकारी नहीं मिलती है। सामान्य व्यक्ति के लिए यह समस्या है लेकिन उद्यमी के लिए यह अवसर है। अवसर को पहचानें।
– डॉ. सुनील शुक्ला, डायरेक्टर इंटरप्रिन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया
स्टार्टअप में महिला सबसे आगे
देश की आधी आबादी को हम पीछे छोड़ देंगे तो आर्थिक प्रगति बाधित होगी। आज भारत में स्टार्टअप में महिलाएं सबसे आगे हैं। यही नहीं साठ प्रतिशत महिलाएं ऋण लेकर उद्यम चला रही हैं। भारत सरकार ने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रखी हैं। आवश्यकता है, तो महिलाओं के लिए नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म की, जहां वे अपनी बात रख सकें। साथ ही इनके मेंटरशिप की भी आवश्यकता है।
रेखा शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय महिला आयोग
महिलाओं ने पूछे सवाल
सवाल- रेगुलेशन लाइसेंस, फंडिंग आदि को लेकर समस्या आती है। किनसे मार्गदर्शन लें?
जवाब- कई संस्थाएं हैं, जो उद्योग प्रारंभ करने में मार्गदर्शन देती हैं। जिला उद्योग विभाग से सहयोग लिया जा सकता है।
सवाल- हैंडीक्राफ्ट व मैन पॉवर सप्लाय का कार्य है। मार्केटिंग व लोन नहीं मिलने की समस्या है, क्या करें।
जवाब- हैंडी क्राफ्ट के लिए सीएसआर फंडिंग या अन्य कार्यक्रम चलते हैं, मदद ले सकते हैं। मैन पॉवर सप्लाय में लोन के लिए वर्क आर्डर के जरिए प्रयास कर सकते हैं।
सवाल- होम स्टे की शुरुआत की है, इसे कैसे बढ़ा सकती हूं।
जवाब- ऑनलाइन मार्केटिंग, ई-बुकिंग का उपयोग बढ़ाएं। एमपी टूरिज्म से सहयोग लें।
सवाल- मैं इको फ्रेंडली पेंसिल बनाती हूं। इसकी लागत ८ रुपए है और १० रुपए में बेचती हूं। बाजार में तीन रुपए में सामान्य पेंसिल मिलती है। अपना प्रोडक्ट कैसे सेल करूं।
जवाब- इको फ्रेंडली ही आपके प्रोडक्ट की विशेषता है, इसकी मार्केटिंग करें।
सवाल- सामाजिक उद्यमिता के लिए क्या सहयोग मिलता है। पंजीयन, लोन, बिल पास की समस्या आती है।
जवाब- सोशल उद्यमिता के लिए प्रथक से प्रोग्राम शुरू किया है। उससे जुड़कर सहयोग ले सकते हैं।