सिंहस्थ में हुए दो हजार करोड़ रुपए से अधिक के स्थायी विकास कार्यों ने पर्यटन के मामले में शहर की तस्वीर बदली है। बड़ा असर धार्मिक पर्यटन पर पड़ा है। जानकारों के अनुसार बीते कुछ सालों में धार्मिक पर्यटकों की संख्या ढाई गुना से अधिक बढ़ी है। महाकाल मंदिर के साथ ही मंगलनाथ, कालभैरव व अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर आम दिनों में प्रतिदिन औसत 15 हजार श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। इनमें से करीब 60 फीसदी श्रद्धालु बाहरी होते हैं। पर्यटकों की बढ़ती संख्या के कारण शहर में रोजगार के भी नए द्वार खुले हैं। एेसे में पर्यटन के क्षेत्र में शहर ने तेजी से कदम तो बढ़ाए हैं, फिर भी यहां जितनी संभावनाएं हैं, उसकी तुलना में हम अब भी काफी पीछे हैं। इसका बड़ा कारण पर्यटन बढ़ाने के लिए नवाचारों की कमी है। विश्व पर्यटन दिवस पर एक रिपोर्ट-
इन सुविधाओं ने बढ़ाया पर्यटन
मंदिरों में विकास : महाकाल सहित शहर के प्रमुख मंदिरों में विकास कार्य, सौंदर्यीकरण व सुविधाओं का विकास हुआ है। इससे मंदिरों में दर्शन, बैठक, विश्राम, पेयजल, सुविधाघर आदि व्यवस्थाएं बेहतर हुई हैं।
सड़कें : शहर से मिलने वाली अधिकांश सड़कें चौड़ी हुई हैं वहीं कुछ को फोरलेन बनाने की तैयारी है। आंतरिक प्रमुख सड़कों को भी फोरलेन में तब्दील किया गया है। इससे शहर तक व शहर के अंदर यात्रियों की पहुंच आसान हुई है।
सौंदर्यीकरण : सड़कों के मध्य व किनारे हरियाली, लैंड स्केपिंग, आकर्षक रोटरी व डिवाइडर, सड़कों पर एलइडी लाइट्स, विभिन्न स्थानों पर पेंटिंग्स, प्रतिमाएं, चौराहों पर विकास आदि के कारण शहर का सौंदर्यीकरण बढ़ा है जो आगंतुकों को आकर्षित करता है।
स्वच्छता : पहले की तुलना में शहर की सफाई व्यवस्था बेहतर हुई है जो पर्यटकों को पसंद आती है।
ठहरने की व्यवस्था : शहर में होटलों की शृंखला बढ़ी है। वर्तमान में 100 से अधिक अच्छे होटल-लॉज उपलब्ध हैं। इनमें से करीब आधा दर्जन होटल व रिसोर्ट लग्जरी लेवल के हैं। इसके अलावा कम बजट वालों के लिए भी मंदिरों के आसपास व मुख्य बाजारों में 80 से अधिक होटल-लॉज हैं। इसके अलावा खान-पान के लिए भी पर्याप्त सुविधाएं हैं।
प्रमोशन : होटल, पर्यटन स्थल, परिवहन सुविधा आदि का प्रमोशन करने वाली निजी कंपनियों की सक्रियता बढ़ी है। शहर के कई होटल एेसी चेन से जुड़े हैं।
परिवहन : सड़कों की बेहतर उपलब्धता के कारण शहर में पहुंच बढ़ी है। निजी वाहनों के साथ ही बस व टैक्सी की कमी नहीं है। इसके अलावा अधिकांश प्रमुख शहरों से उज्जैन की रेलवे लाइन जुड़ी है। शहर से करीब 60 किलोमीटर दूर इंदौर में एयरपोर्ट होने से हवाई मार्ग की उपलब्धता तुलनात्मक सुलभ है। इसके अलावा शहर में सिटी बस, ऑटो, मैजिक, ई-रिक्शा की पर्याप्त उपब्धता के कारण आंतरिक परिवहन व्यवस्था भी बेहतर है।
दर्शन तक सीमित पर्यटक
बीते वर्षों में शहर में पर्यटन बढ़ा जरूर है लेकिन पर्यटक यहां कम ही दिन रुकते हैं। अधिकांश पर्यटक या श्रद्धालुओं का उद्देश्य प्रमुख मंदिरों के दर्शन करना होता है। इसके बाद वह लौट जाते हैं। इनमें से कई तो एेसे हैं जो दर्शन कर इंदौर में ठहरना पसंद करते हैं। पर्यटक यहां तीन-चार दिन रुकें, इसे लेकर कोई विशेष प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
संभावनाएं अपार, प्रयास अधूरे
वेडिंग डेस्टिनेशन : शहर के वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित होने की अपार संभावनाएं हैं। इसके कुछ महीनों पहले तत्कालीन कलेक्टर द्वारा पहल भी गई थी लेकिन प्रयास अंजाम तक नहीं पहुंच सकें। यदि वेडिंग डेस्टिनेशन को बढ़ावा मिलता है तो नए रूप में पर्यटक मिलेंगे।
पंचक्रोशी मार्ग : प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक व पौराणिक धरोहर से भरे 118 किलोमीटर का पंचक्रोशी मार्ग को हेरिटेज या टूरिस्ट पाथ के रूप में विकसित करने की पहल हुई थी। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। यदि धार्मिक यात्रा के इस मार्ग पर होटल, रिसोर्ट, कैम्प फायर, बोटिंग, वाटर गेम्स आदि सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं तो पर्यटक दो-तीन दिन यहां ठहरना पसंद करें।
शिप्रा विकास : शिप्रा नदी की स्वच्छता के लिए प्रयास हुए हैं लेकिन इसका उपयोग पर्यटन को बढ़ावा देने के दृष्टि से कभी नहीं किया गया। एेसी कोई सुविधाएं नदी या तटों पर नहीं की गई आकर्षित हों। सिंहस्थ ने दी नई पहचान
सिंहस्थ 2016 को लेकर शहर में बड़ी संख्या में स्थायी प्रकृति के निर्माण कार्य हुए थे। इसके साथ ही राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार कर श्रद्धालु व पर्यटकों को सिंहस्थ में आने का न्योता दिया गया था। सिंहस्थ के एक महीने के दौरान 5 करोड़ से अधिक लोगों के शहर आए थे। स्वच्छता, सुंदरता और अन्य व्यवस्थाओं की बेहतर स्थिति के कारण सिंहस्थ के बाद भी लोगों द्वारा शहर का प्रचार किया गया। यही कारण रहा कि सिंहस्थ बाद भी पर्यटकों के आने का दौर जारी रहा और बढ़ता गया।