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यहां चांद-तारों को छू सकते हैं…बस इस चीज का इंतजार

locationउज्जैनPublished: May 24, 2018 12:44:41 am

Submitted by:

Lalit Saxena

थ्री डी थिएटर तैयार, फिल्म और चश्मे का इंतजार, 2 वर्ष से प्रारंभ नहीं हो सका वेधशाला में निर्मित थिएटर

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थ्री डी थिएटर तैयार, फिल्म और चश्मे का इंतजार, 2 वर्ष से प्रारंभ नहीं हो सका वेधशाला में निर्मित थिएटर

उज्जैन. बच्चों को खगोलीय घटनाओं से अवगत कराने के साथ ही शैक्षणिक जानकारी देने के लिए निर्मित थिएटर 2 साल से प्रारंभ ही नहीं हो सका है। दरअसल थिएटर के लिए फिल्म और थ्री डी चश्मे उपलब्ध ही नहीं कराए गए हैं।
जीवाजी राव सिंधिया वेधशाला में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के सहयोग से वेधशाला के रिक्त पड़े हॉल में थ्रीडी थिएटर बनाया गया था। थिएटर में स्क्रीन, प्रोजेक्टर और अन्य फर्नीचर मिल चुका है, लेकिन खगोलीय फिल्म और थ्री डी चश्मा उपलब्ध नहीं होने से थिएटर संचालित नहीं किया जा रहा है। सिंहस्थ के पहले से ही थिएटर का ज्यादातर काम हो गया था। फिल्म और थ्री डी चश्मे संस्थान थिएटर को नहीं मिले हैं। नतीजतन खगोलीय घटनाक्रमों की जानकारी और शिक्षा देने का स्थान लगभग बंद है।
कई प्रस्ताव भेजे
जीवाजी राव वेधशाला के प्रभारी राजेंद्र गुप्ता के अनुसार 60 सीट वाले थ्री डी थिएटर के लिए फर्नीचर और अन्य संसाधन तो सिंहस्थ के पहले ही आ चुके हैं। फिल्म और चश्मों के अभाव में इसका संचालन नहीं हो पा रहा है। इसके लिए कई प्रस्ताव महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के साथ प्रदेश सरकार को भेजे गए हैं। इन पर अभी निर्णय नहीं हुआ है।

जीवाजी राव सिंधिया वेधशाला में महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के सहयोग से वेधशाला के रिक्त पड़े हॉल में थ्रीडी थिएटर बनाया गया था। थिएटर में स्क्रीन, प्रोजेक्टर और अन्य फर्नीचर मिल चुका है, लेकिन खगोलीय फिल्म और थ्री डी चश्मा उपलब्ध नहीं होने से थिएटर संचालित नहीं किया जा रहा है। सिंहस्थ के पहले से ही थिएटर का ज्यादातर काम हो गया था। फिल्म और थ्री डी चश्मे संस्थान थिएटर को नहीं मिले हैं। नतीजतन खगोलीय घटनाक्रमों की जानकारी और शिक्षा देने का स्थान लगभग बंद है।
कई प्रस्ताव भेजे
जीवाजी राव वेधशाला के प्रभारी राजेंद्र गुप्ता के अनुसार 60 सीट वाले थ्री डी थिएटर के लिए फर्नीचर और अन्य संसाधन तो सिंहस्थ के पहले ही आ चुके हैं। फिल्म और चश्मों के अभाव में इसका संचालन नहीं हो पा रहा है। इसके लिए कई प्रस्ताव महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के साथ प्रदेश सरकार को भेजे गए हैं। इन पर अभी निर्णय नहीं हुआ है।

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