scriptगंभीर ट्रीटमेंट प्लांट पर पाइप जले, अब तक जांच क्यों नहीं | Burn the pipe on the serious treatment plant, why not check till now | Patrika News

गंभीर ट्रीटमेंट प्लांट पर पाइप जले, अब तक जांच क्यों नहीं

locationउज्जैनPublished: May 28, 2019 12:38:44 am

Submitted by:

rajesh jarwal

15 दिन बीते, जांच होना तो दूर अफसर मौके पर भी नहीं पहुंचे

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गंभीर ट्रीटमेंट प्लांट पर पाइप जले, अब तक जांच क्यों नहीं

उज्जैन. गंभीर ट्रीटमेंट प्लांट पर सीवरेज पाइप के जलने की जांच भी धुंआ-धुंआ ही नजर आ रही है। सिंहस्थ क्षेत्र से निकले इन लाखों के पाइप में आग लगने के कारण, मौजूद कर्मियों की लापरवाही व अन्य बिंदुओं पर जांच के लिए गठित पांच सदस्यीय समिति ने १५ दिन बीत जाने तक जांच ही शुरू नहीं की। ना तो कोई जिम्मेदार पड़ताल के लिए मौके पर गए ना ही घटना से जुड़े कोई साक्ष्य जुटाए। अब इतने दिन बाद क्या हाथ लगेगा यह सभी को पता है। कुल मिलाकर निगम के जिम्मेदार ही जांच के नाम खानापूर्ति कर घटना पर पर्दा डालने की तैयारी में हैं। ताकि इस घटना की आग की लपटों में किसी का हाथ ना जले।
११ मई की दोपहर गंभीर डैम के अंबोदिया ट्रीटमेंट प्लांट में रखे सीवरेज पाइप में भीषण आग लग गई थी,जिसमें सैकड़ों पाइप खाक हो गए थे। इस बार १२ मई को निगमायुक्त ने प्रकरण की जांच के लिए अपर आयुक्त धीरेंद्रसिंह परिहार की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर १५ दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए थे। इस आदेश को १५ दिन बीत गए लेकिन अब तक जांच कमेटी में शामिल सदस्यों ने मौका मुआयना या इससे जुड़े साक्ष्य जुटाने कि कोई पहल नहीं की। पत्रिका ने जांच गठित होने दौरान ही इस तरह की आशंका जता दी थी, स्थिति भी वही हो रही है, जो सरकारी नुकसान होने पर अक्सर होती है।
ये शामिल हैं जांच समिति में-निगम अपर आयुक्त डीएस परिहार की अध्यक्षता में गठित जांच समिति में सुनील उदिया इइ पीएचई, एसके धारीवाल एई, नरेश कुवाल प्रभारी अंबोदिया प्लांट, फायर ऑफिसर अजयसिंह राजपूत शामिल हैं। समिति को १५ दिन में आग लगने के कारणों, नुकसानी का आकलन व अन्य बिंदुओं पर रिपोर्ट देना थी।
स्टाक रिकॉर्ड का ही ठीक से मिलान नहीं- सिहंस्थ के बाद पीएचई शहर व सिंहस्थ डिवीजन ने मेला शिविरों से निकले सीवरेज पाइपों को यहां रखवाया था। दोनों विंग का स्टॉक रिकॉर्ड ठीक से मिलान नहीं होने पर नुकसानी का वास्तविक आकलन नहीं निकल पाया। घटना के बाद ना तो आला अधिकारियों ने कोई फिक्र ली ना ही स्टॉक को लेकर कोई ठोस आंकड़े सामने आए।
सरकारी सिस्टम
पर ही सवाल
इस तरह कि समितियों का गठन सरकारी सिस्टम पर भी सवाल खड़े करती है। क्योंकि जब तक सभी तथ्यों का समावेश कर जांच नहीं होगी कैसे आग के कारण व जिम्मेदारी तय हो सकेगी। वह तो गनीमत रही कि पाइपों से निकल रही लपटों में पीएचई का सोलर प्लांट नहीं आया अन्यथा और बड़ा आर्थिक नुकसान हो जाता। पीएचई सूत्रों की मानें तो सिंहस्थ से निकले पाइप टाटा कंपनी के जरिए अंडर ग्राउंड सीवरेज प्रोजेक्ट में उपयोग किए जा रहे थे। इसी उपयोग के बीच ही ये घटना हुई। इससे यह आशंका खड़ी होती है कि कहीं किसी ने साजिश कर इस घटना को अंजाम तो नहीं दिया। तीन सालों से पाइप प्लांट पर रखे अभी तक आग नहीं लगी लेकिन जब उपयोग शुरू हुआ तब लाखों के पाइप स्वाहा हुए।
&प्लांट पर हुए अग्निकांड की जांच अभी प्रक्रिया में है। जो भी तथ्य सामने आएंगे बता देंगे। चुनावी व्यस्तता में विलंब हुआ।
धीरेंद्र सिंह परिहार, अपर आयुक्त, निगम
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