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नई खदान नीति का इंतजार

locationउमरियाPublished: Apr 25, 2018 05:21:01 pm

Submitted by:

shivmangal singh

रेत की किल्लत से नहीं बन पा रहे गरीबों के आशियाने

Awaiting new quarry policy

Awaiting new quarry policy

उमरिया. प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छ भारत अभियान के अन्तर्गत बनने वाले शौचालयों के लिए रेत की कीमत जिले में समस्या बन गयी है। रेत की अधिक कीमत के बावजूद भी वैध रेत का मिलना नामुकिन जैसा ही है। नयी खनिज नीति का निर्धारण हुए लगभग छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन जिले में मात्र एक ही खदान की स्वीकृति मिली है। पुरानी रेत खदानों के नियमितकरण नहीं होने से जो एक ट्राली रेत की कीमत 1500 रुपए हो सकती है, वो इस समय 35 सौ से 4 हजार रुपए ट्राली में मिल रही है। इसी कारण से प्रधानमंत्री आवास और शौचालयों का बनना मुश्किल दिखायी पड़ रहा है। शासन ने इस समस्या के निर्धारण के लिए जिले में पंचायत वार रेत की निकासी का जिम्मा दिया था। यही नहीं पंचायत से मिलनी वाली रेत में अनावश्यक रूप से धर-पकड़ की रोक भी लगायी गयी थी, लेकिन जिले में पुरानी लगभग 100 खदानें हैं, उनमें से चंदिया के पास खैरवार की खदान को ही स्वीकृति मिल सकी है। ऐसे में रेत की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, और प्रशासन की इस रवैये से अवैध रेत का कारोबार न चाहे भी बढ़ रहा है।
नई खदान नीति का नहीं हो रहा पालन
नई खदान नीति के तहत पंचायतों को रेत की बिक्री करने का अधिकार मिल जाना चाहिये था, लेकिन इस नीति का पालन नहीं किया जा रहा है। बढती मंहगाई और बैरोजगारी के कारण टे्रक्टर वाले अवैध रेत का परिवहन करने को मजबूर हो रहे हैं। मंहगाई के इस दौर में एक ट्रेक्टर से कम से कम 10 व्यक्तियों का परिवार का पालन हो रहा है। नयी खनिज नीति का आवंटन नहीं होने के कारण हजारों ट्रेक्टर वाले मजबूरन जिल्लत उठाने के साथ कई बार धरपकड़ का शिकार होने के बाद भी इसी व्यवसाय रहने को मजबूर है। यदि नयी खनिज नीति के सही तरीके से पालन हो जाये तो इन ट्रेक्टर वालों को कानून के रास्ते ही आसानी से रेत परिवहन का मौका मिल सकता है। इससे ना केवल उन्हें वैधानिक रास्ता मिलेगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी सस्ती रेत मिलने लग जायेगी।
अवैध क्रेशरों पर नहीं होती कार्यवाही
एनजीटी के नियमों को ताक पर रख कर जिला मुख्यालय की परिधि में ही दर्जनों अवैध क्रेशरों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन खनिज विभाग इन पर किसी भी प्रकार कार्यवाही करने में गुरेज करता है। पहाड़ों और जमीन का सीना चीर कर अवैध स्टोन क्रेशरों से हो संचालन में अपना सहयोग ही देते हैं। इसका सबसे बडा उदाहरण निगहरी के पास अवैध स्टोन क्रेशर की गिट्टी का उपयोग प्रधानमंत्री सडक़ योजना के अन्तर्गत बनने वाली सडक़ों में खुले आम उपयोग किया जा रहा है। जानने बूझने का बावजूद भी खनिज विभाग केवल रेत ट्रेक्टर वालों पर कार्यवाही करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं।
नहीं होती जब्त रेत की नीलामी
विभाग को रायल्टी का लक्ष्य नहीं मिल पा रहा है, तो इसका प्रमुख कारण अवैध स्टोन क्रेशर के व्यवसाय पर नियत्रंण नहीं करना ही है। इसके साथ जप्त अवैध रेत का ढेर किसी भी स्थान पर एकत्रित कर दिया जाता है, लेकिन उसकी नीलामी नहीं की जाती है। सही समय पर शासकीय नियमों के तहत ही जप्त अवैध की नीलामी समय-समय पर होती रहे तो आम जनों को वैसे भी सस्ती रेत मिल सकती है। खनिज विभाग के अधिकारियों के अनुसार ही इसके खनिज विभाग अवैध जप्त रेत का भंडारण पीआईयू के द्वारा निर्माण कार्य स्थलों पर सुरक्षित रखने के नाम पर रख रहेे हैं।
इनका कहना है
जल्दी ही नयी खदान नीति के तहत अन्य रेत खदानों को स्वीकृति दी जायेगी। फिलहाल जिले में एक ही खदान को स्वीकृति मिली है। वन विभाग की एनओसी नहीं मिल पाने के कारण रेत खदानों की स्वीकृति में देरी हो रही है।
आर के पाण्डेय, खनिज अधिकारी उमरिया
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