उमरियाPublished: Jul 26, 2023 02:11:45 pm
ayazuddin siddiqui
1882 में पहली बार बाबा हुजूर की हुई आमद
उमरिया. मोहर्रम की सातवीं तारीख बुधवार को रात्रि 11-12 बजे के दरमियान बाबा हुजूर की सवारी उठेगी। बाबा हुजूर की सवारी गश्त के लिए इमामबाड़ा से रवाना होकर शहर की जामा मस्जिद, कैम्प स्थित मस्जिद सहित अन्य स्थलों से होते हुए इमामबाड़ा पहुंचेगी।
बाबा फूल सिंह को 70 वर्ष व बाबा सुशील सिंह को 28 वर्ष से आमद हो रही सवारी नगर के मोहर्रम के प्रसिद्धी का कारण उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी है। इमामबाड़ा मोहर्रम कमेटी के वरिष्ठ पदाधिकारी मेंहदी हसन ने बताया कि नगर में उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी सन 1882 में पहली बार आमद हुई थी। नगर में प्रथम सवारी स्व. माधव सिंह को आई थी जो उनके पर्दा करने तक बदस्तूर आमद होती रही। बाबा माधव सिंह को 40 वर्ष तक सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी की आमद हुई थी। बाबा माधव सिंह के पर्दा करने के बाद बाबा फूल सिंह को निरंतर 70 वर्ष तक सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी की आमद होती रही। बाबा फूल सिंह के पर्दा करने के बाद विगत 27 वर्षों से बाबा सुशील सिंह को सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर की सवारी की आमद होती चली आ रही है जो बदस्तूर जारी है।
उन्होंने बताया कि बाबा फूलसिंह के बाद करीब 2-3 वर्षों के पश्चात बाबा सुशील सिंह को सवारी आमद हुई। लोगों का मानना है कि उमरिया नगरी में बाबा हुजूर के करम से रहमत की बारिश से लाखों लोग मालामाल होते चले आ रहे है। जिसने भी सैय्यदना उमरिया वाले बाबा हुजूर का दामन थामा वह मरते दम तक बाबा हुजूर से क्षण भर भी गाफिल न हुआ। उन्होंने बताया कि समूचे शहर में लंगर वितरण, चाय, शरबत, पूडी-सब्जी का वितरण मोहर्रम शरीफ की नवमीं एवं दसवीं के दिन किया जाता है। मोहर्रम की पहली तारीख से निरंतर 10 तारीख तक इमामबाड़ा के खादिमों द्वारा लंगर तकसीम किया जाता है।