बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क प्रबंधन का नवाचार
उमरिया•Feb 16, 2020 / 10:22 pm•
ayazuddin siddiqui
अब बाघों के गढ़ में बघीरा करेगा निगरानी
उमरिया. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क प्रबंधन एक बार फिर वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर नवाचार कर रहा है। पार्क प्रबंधन द्वारा दूसरे पार्कों की तरह जीपीएस ट्रैकर सिस्टम को बांधवगढ़ पार्क में बघीरा ऐप के नाम से लांच करने की तैयारी की गई है। एक मार्च से इस ऐप को शुरू भी किया जा सकता है। बांधवगढ़ संयुक्त क्षेत्र संचालक सिद्धार्थ गुप्ता ने बैठक लेकरसभी वाहन चालक एवं गाइड को बघीरा ऐप की जानकारी दी। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने सुरक्षा के मद्देनजर बघीरा ऐप लांच किए जाने के लिए शासन से अनुमति मांगी थी, जिस पर शासन ने हरी झंडी दे दी है। दरअसल पार्क के भीतर गाइड और कई रिसार्ट संचालकों की मनमानी थी। बाघों का मूवमेंट दिखते ही बाघ और वन्यजीवों के साथ कई बार छेड़छाड़ की हरकत भी होती थी। इसके बाद पार्क प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क प्रबंधन द्वारा वन्य प्राणियों को बचाने की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। जानवरों व पर्यावरण क्षेत्र को संरक्षित करने के उद्देश्य से पार्क प्रबंध की एक दिवसीय बैठक आयोजित की गई। जिसमे बांधवगढ़ में पांच सितारा रिसोर्ट संचालकों के पर्सनल जिप्सी वाहन चालको एवं गाइडों के द्वारा किए जा रहे वन्य प्राणियों के जीवन से खिलवाड़ के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में अहम निर्णय लेते हुए प्रबंधन द्वारा अन्य पार्को की तरह जीपीएस ट्रैकर सिस्टम को बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में बघीरा ऐप के नाम से लांच करने की तैयारी की जा चुकी है। बताया जा रहा है कि आगामी 1 मार्च से इस एप को लागू भी किया जा सकता है। इस संबंध में संयुक्त क्षेत्र संचालक सिद्धार्थ गुप्ता द्वारा बैठक में सभी वाहन चालक एवं गाइड को बघीरा एप के संबंध में विधिवत जानकारी उपलब्ध कराई गई। जिसमे रिसोर्ट संचालकों के द्वारा अपने पर्यटक ग्राहक को जंगल के अंदर पर्सनल जिप्सी वाहन से जंगल के अंदर मनमानी कर गलत तरीके से टाइगर दिखाने वाले लोगों के बीच में खलबली मची हुई है। वहीं रिसोर्ट संचालकों द्वारा अपने रिसोर्ट को पापुलर करने के चक्कर मे अपने पर्सनल जिप्सी ड्राइवर व गाइडों को आधुनिक कैमरा देकर जंगल भेजा जा रहा था। जिनके द्वारा जंगल के अंदर की जाने वाली फोटोग्राफी पर बकायदे इनाम भी दिया जाता रहा है। फोगोग्राफी व अपने पर्यटकों को टाइगर का दीदार करने के फेर मे जिप्सी वाहनों की भीड़ सी लग जाती है। ऐसे में टाइगर अपने आप को असुरक्षित मानते हुए उक्त क्षेत्र से भागने मजबूर होते हैं। देखा जाए तो ताला गेट एरिया टाइगर दिखने में विख्यात था अब यहां एक भी टाइगर नहीं दिखते। बांधवगढ़ के अंदर होने वाली ऐसे तमाम घटनाएं प्रबंधन के सामने आई। जिसे बांधवगढ़ प्रबंधन ने गंभीरता से लिया है। इसी के चलते अहम निर्णय लेते हुऐ बघीरा लांच किए जाने के लिए मध्य प्रदेश शासन से अनुमति मांगी जिस प्रशासन ने हरी झंडी दे दी है।
यह है बघीरा ऐप
मध्य प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व मे आए दिन वाहनों का तेज गति से चलना वन्य प्राणियों के पास वाहनों का झुंड लगाकर खड़ा हो जाना एवं एक ही जगह में वाहनों का काफी देर तक खड़ा किए रहने की शिकायत पर्यटक एवं वन प्रेमियों के सांथ अन्य लोगों द्वारा प्रबंधन को लगातार जानकारी दी जा रही थी। जिस पर प्रबंधन ने आधुनिक टेक्नालॉजी के अनुसार कान्हा टाइगर रिजर्व एवं पेंच टाइगर रिजर्व में करीब दो या तीन वर्ष पहले लागू सिस्टम के संबंध में सघनता से जानकारी ली। उक्त सिस्टम से कान्हा एवं पेंच में किसी प्रकार की कोई शिकायतें प्रबंधन को प्राप्त नही हो रही थी। जिसको देखते हुए बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने भी इस वर्ष 1 मार्च से बगीरा एप लांच करने का मन बना लिया है। बघीरा एप की टेक्नोलाजी इतनी बखूबी है कि यदि कोई भी वाहन एनटीसीए गाइडलाइन के अनुसार बनाई गई वाहन की स्पीड लिमिट 20 से 25 के ऊपर तेज गति से वाहन चलता है तो सिस्टम के अंदर दंडात्मक कार्यवाही के रेड निसान प्राप्त होंगे। जिस पर प्रबंधन रेड लाइट के अनुसार कार्यवाही करेगा एवं एक ही जगह पर 10 से 15 मिनट वाहन खड़े करने पर भी रेड लाइट के निसान प्राप्त होंगे। इन सभी चीजों का अंकित होना जीपीएस ऑन बघीरा ट्रैकर के अंदर मौजूद रहेगा। जिस पर प्रबंधन के द्वारा अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करने में आसानी होगी।
इनका कहना है
अभी भोपाल से अनुमति मिलना बांकी है। हमारे द्वारा स्थानीय स्तर पर संबंधित लोगों की बैठक लेकर बघीरा सिस्टम के बारे में बताया है। जैसे ही भोपाल से सिस्टम को मंजूरी मिलती है हम ड्राइवर व गाइडों को विधिवत प्रशिक्षण देकर इसे लागू कर देंगे।
डॉ सिद्धार्थ गुप्ता, संयुक्त संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया