उमरियाPublished: Nov 29, 2021 11:30:54 pm
ayazuddin siddiqui
11 माह में बाघ-बाघिनों की मौत का आंकड़ा 12 पारप्रबंधन की दलील: रख रहे थे नजर, रेस्क्यू कर सर्जरी की लेकिन नहीं बचा पाए
Bandhavgarh: Then a tigress died, was injured for a month
उमरिया. बांधवगढ़ क्षेत्र में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। 11 माह के भीतर 12 बाघ-बाघिनों की मौत हो चुकी है। एक माह से घायल अवस्था में बांधवगढ़ के जंगलों में घूम रही बाघिन टी 66 ने दम तोड़ दिया है। पार्क प्रबंधन के अनुसार, मादा बाघ टी-66 खितौली एवं पनपथा बफर में पिछले एक माह से घायल अवस्था में देखी जा रही थी। बाघिन की हांथियों एवं कर्मचारियों द्वारा लगातार निगरानी की जा रही थी। बाघिन गंभीर चोटों के कारण शिकार करने में असमर्थ हो रही थी। लगातार हालत बिगडऩे और सुधार न होने पर 26 नवंबर को पार्क प्रबंधन ने बीट खितौली पनपथा वन परिक्षेत्र से बाघिन को रेस्क्यू किया था। जिसकी अनुमानित आयु लगभग 10 वर्ष थी। बाघिन की शल्य चिकित्सा नानाजी देशमुख वेटनरी विश्व विद्यालय जबलपुर के विशेषज्ञों और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञ द्वारा की गई थी। इसके बाद से बाघिन को इलाज एवं निगरानी के लिए इसे बहेरहा इंक्लोजर में रखा गया था। इसी दौरान 28 नवंबर को बाघिन की मौत हो गई। पार्क प्रबंधन के अनुसार, रेस्क्यू के समय बाघिन भूखी प्रतीत हो रही थी। डाक्टर की सलाह अनुसार बाघिन को भोजन देने का प्रयास किया था लेकिन लेकिन खाने में असमर्थ रही। प्रोटोकॉल के अनुसार सक्षम अधिकारियों की उपस्थिती में बाघिन का पीएम के बाद अंतिम संस्कार किया गया।