उमरिया

बांध नहीं हमें अपनी जमीन चाहिए

ग्राम अतरिया के लोगों ने जल संसाधन विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा

उमरियाSep 25, 2018 / 05:36 pm

ayazuddin siddiqui

बांध नहीं हमें अपनी जमीन चाहिए

उमरिया. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (1), 13 (3) के तहत गठित रुढ़ी प्रथा पर आधारित पारम्परिक ग्राम सभा स्थाई समिति अतरिया में उमरिया कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं सहायक आयुक्त आदिवासी व अनुविभागीय अधिकारी उमरिया को एक सूचना पत्र देकर यह मांग की है कि मप्र शासन जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित बांध गांव अतरिया जनपद पंचायत करकेली जिला उमरिया निर्माण का स्थगन प्रस्ताव तत्काल दिया जाये। इस मांग को लेकर अतरिया के ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट परिसर के सामने सोमवार की दोपहर 12 बजे से अनशन में बैठ गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि प्रस्तावित बांध आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में है जो कि आदिवासी जीवोपार्जन के साधन, भाषा, संस्कृति को प्रत्यक्ष रुप में प्रभावित करता है जबकि भारतीय संविधान में हमे विशेषाधिकार प्रदान है कि आदिवासी संस्कृति को सरंक्षित रखा जाये।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि शासन द्वारा यह प्रस्तावित बांध पूर्णत: अनुसूचित जनजातियों को प्रदत्त अधिकारों का हनन करते हुये जीपकोपार्जन के प्रमुख साधन जमीन से बेदखल करने के लिये शासन के द्वारा सोची समझी साक्षिस के तहत आदिवासियत पहचान को खत्म करना चाहते हैं जो हमारे पारपंरिक ग्राम सभा को मंजूर नहीं है। इसके आधार पर शासन के इस आदिवासी विरोधी प्रस्ताव को निरस्त करते हुये अग्रणी कार्रवाई हेतु सूचित करते हैं। अगर अनुच्छेद 13 (3) क के तहत रुढ़ीमत पारपंरिक ग्राम सभा के फैसले का मान नहीं रखा जाता है तो किसानों के साथ हम उग्र आंदोलन कर सकते हैं। अनशन पर बैठे ग्रामीणों ने का कहना है कि शासन द्वारा बांध के लिए जमीन तो ले ली जाएगी, इसके बाद यदि उनके पास जमीन नहीं बचेगी। जिससे वे अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। उनका कहना है कि उनकी आय कृषि पर ही आधारित है। ऐसे में वे अपनी जमीन बांध के लिए कैसे दे दें। ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन जबरिया उनकी जमीन हथियाने का प्रयास करेगा तो उनके द्वारा इससे भी उग्र आंदोलन कर शासन व प्रशासन को मुहतोड़ जवाब देंगे। वे किसी भी हालत में अपनी जमीन बांध के लिए नहीं देंगे।

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