उमरियाPublished: Feb 15, 2020 10:37:59 pm
ayazuddin siddiqui
चिमनी के सहारे गांव
सेठानी गांव में 72 साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली
उमारिया. जिले के सुदूर डिंडोरी जिले की सीमा पर विंध्य मैकल पर्वत श्रृंखला पर आबाद सेठानी गांव,नाम से तो लगता है कि बड़े बड़े सेठो का गांव होगा लेकिन असलियत नाम से कई कोसो दूर है। यहां तक पंहुचने में आपको तीन किमी पहाड़ नदी नालों और पगडंडियों का सफर तय करना होगा मतलब साफ है आजादी के 72 साल बाद भी इस गांव में बुनियादी सुविधाएं नही पंहुच पाई हैं। कारण चाहे जो भी रहे हों लेकिन गांव गांव सड़क बिजली पानी स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा मुहैया कराने के सरकारी दावे सेठानी गांव में पंहुचकर दम तोड़ रहे है।
ं आलम यह है कि यहां अगर कोई बीमार पड़ जाए तो लोग उसे कंधे में बैठाकर नीचे तक लाने मजबूर है गांव में बिजली नहीं चिमनी के सहारे ग्रामीण रात बिताते हैं। गांव में न आंगनबाड़ी केंद्र है न स्कूल न स्वास्थ्य सुविधा। लगभग 100 घरों और हजार की आबादी का यह गांव ग्राम पंचायत चंगेरा अंतर्गत सम्मिलित ग्राम है। गांव तक पंहुचने के लिए वन विभाग के जंगलों से होकर गुजरना पड़ता है लिहाजा ग्राम पंचायत कोई निर्माण कार्य नही करा सकती। यह इलाका भाजपा से 9 बार विधायक और सासन्द मंत्री रहे ज्ञान सिंह के गृह ग्राम से लगा हुआ है और वर्तमान में उनके पुत्र शिवनारायण सिंह यहां से भाजपा के विधायक हैं।
गांव की बदहाली का आलम यह है कि सड़क न होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते और गांव में बचपन से ही आजीविका के काम मे जुट जाते हैं। गांव के जिम्मेदारों की माने तो उन्होंने गांव में सुविधा
मुहैया कराने कई प्रयास किये लेकिन जन प्रतिनिधियों एवं प्रशासन की उपेक्षा से आज तक गांव में
मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नही हो पाया। गांव की बदहाली की खबर जब जिले के मुखिया कलेक्टर को हुई तो उन्होंने जल्द से जल्द गांव में चौपाल लगाकर ग्रामीणों की हर संभव मदद का भरोसा दिया है। सेठानी गांव के लोग बदहाली से निजात पाने कई बार जनसुनवाई और विधायक सांसदों के सामने मत्था टेका लेकिन कहीं कोई सुनवाई नही हुई और अब गांव के लोग कठिनाइयों में ही जीवन जीने को आदि हो चुके हैं जिला प्रशासन के गांव भ्रमण के दावे से ग्रामीणों में गांव में विकास की आस जगी है देखना है कब पूरी होगी।