उमरियाPublished: Jan 22, 2022 07:21:47 pm
ayazuddin siddiqui
जांच में दोषी मिले खाद्य निरीक्षक को अधिकारियों ने बताया
Food Scam: Case registered against two managers after 8 months
उमरिया. जिले के मानपुर क्षेत्र में गेहूं की कालाबाजारी करने वाले दो प्रबंधकों पर एफआईआर दर्ज की गई है। 8 माह बाद पुलिस ने दो मैनेजर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। रसूख के चलते लंबे समय से फाइल चल रही थी। उधर पूर्व में दोषी पाए गए खाद्य निरीक्षक को अभी भी जांच से दूर रखा है और अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है। अमरपुर प्रबंधक रामलखन चतुर्वेदी व चिल्हारी प्रबंधक जगदीश तिवारी द्वारा राशन दुकान के गेहूं की हेरफेर की गई थी। कलेक्टर ने खुद गड़बड़ी पकड़ी थी। प्रबंधकों ने भण्डारण व परिवहन में हेरफेर कर अनाज की गड़बड़ी की थी। दोनों प्रबंधक के द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली पीडीएस व बाजार से गेंहू लाकर उपार्जन बताया जा रहा था। मामले में खाद्य निरीक्षक की गठजोड़ भी सामने आई थी। जिसे कलेक्टर ने निलंबित कर दिया था लेकिन बाद में राजनीतिक दबाव में बहाल करते हुए उसी जगह पदस्थ कर दिया था, जहां से हेरफेर किया था।
जून में भेजा गया था पत्र
भण्डारण व खरीदी केन्द्र की जांच में अमरपुर की 1139 बोरी में 700 ओपन एरिया में पाई गई थी। इनमे 100 बोरी खराब थी। इसके अलावा 439 का कोई हिसाब किताब नहीं था। इसी तरह चिल्हारी उपार्जन केन्द्र में 1378 बोरी में से 597 ओपन कैप एरिया में पाई गई। 300 बोरी खराब तथा 781 बगैर हिसाब वाली थी। जांच में स्पष्ट हुआ कि दोनों केन्द्रों में फर्जी किसानों की इंट्री की गई है। स्टॉक की प्रर्ति के लिए गेहूं खुले बाजार व उचित मूल्य दुकान से यहां सांठगांठ कर बेचा गया है। लिहाजा जांच प्रतिवेदन में कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी ने 18 जून को थाना प्रभारी इंदवार को पत्र लिखा। इसमे अमरपुर प्रबंधक रामलखन चतुर्वेदी व चिल्हारी प्रबंधक जगदीश तिवारी के विरुद्ध प्राथमिकी के लिए कहा गया।
पत्राचार व विवेचना में बीते आठ माह
यह पूरी कार्रवाई कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव द्वारा की गई थी। लिहाजा एफआईआर में देरी होने पर उन्होंने पुन: कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी को अगले माह पत्र भेजा। 23 जुलाई को दोनों प्रबंधकों पर एफआईआर करवा प्रति कार्यालय तलब की। इस दौरान उन्होंने तत्कालीन एसपी को भी एक पत्र भेजा। एक जुलाई में लिखे पत्र के भीतर थाना प्रभारी व कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी के प्रकरण का हवाला देकर कार्रवाई के लिए कहा। मामला पत्रों के बीच ही उलझा रह गया। हालांकि इस संबंध में देरी के पीछे खाद्य विभाग का कहना है जांच प्रतिवेदन में प्रकरण अलग-अलग पुलिस द्वारा मांगा जा रहा है। साथ ही इस दौरान जांच अधिकारी छुट्टी में जाने से भी कार्रवाई प्रभावित हुई। हालांकि एसपी ने मामले को संज्ञान में लिया है। तब जाकर जांच की गति तेज हुई। 19 जनवरी को दोनों प्रबंधकों पर एफआईआर दर्ज की गई।
इनका कहना है
गरीबों को मिलने वाले राशन में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नही की जाएगी। मुख्यमंत्री की मंशानुसार ऐसे लोगों के विरुद्ध विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है। चिन्हित प्रकरणों में कार्रवाई प्रचलन में है। जांच रिपोर्ट अनुसार कड़ी से कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर उमरिया