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मदद के लिए दर-दर भटक रही बालिका

locationउमरियाPublished: Jul 12, 2018 05:32:31 pm

Submitted by:

shivmangal singh

बिडम्बना: मेहनत मजदूरी कर पाल रही है भाई-बहन का पेट

Girl for wandering rates for help

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उमरिया. सरकार गरीबों के उत्थान के लिये तरह-तरह की जनहितैषी योजनाओं का संचालन कर रही और आदिवासियों के सर्वागींण विकास के लिए करोड़ों रुपये विभागों को उपलब्ध करा रहा है। बावजूद इसके शासन की योजनाओं का वास्तविक लाभ जरूरतमंदों और असहायों को नहीं मिला पा रहा है। मामा के राज में जहां भांजियों को तमाम सुविधाएं मुहैया कराने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, वहीं एक ऐसी भांजी जो रहने और दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है। दर्जनों आवेदनों के बाद भी इस आदिवासी भांजी की न तो ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों ने कोई सुध ली और न ही जिला प्रशासन ने। लिहाजा यह आदिवासी युवती आज भी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। जिम्मेदारों से विनती करते-करते थक हारकर आखिरकार अपने मेहनत के बलबूते किसी कदर अपने छोटे-छोटे दो भाई बहनों को पाल रही है। यह मामला जिले के जनपद पंचायत मानपुर अंतर्गत ग्राम अमरपुर का है। जहां 15 वर्षीय नाबालिग आदिवासी बेटी आरती कोल पिता स्व. मंतोष कोल ने अपना दुखड़ा सुनाया। जहां सरकार के विकास के तमाम दावों की पोल खुल गई। बेबस और लाचार आदिवासी बालिका ने बताया कि उसके पिता की मौत करीब पांच वर्ष पहले हो गई थी उस समय वह 10 वर्ष की थी और कुछ दिन बाद मां ने भी साथ छोड़ दिया। इस तरह से वह एकदम से अकेली हो गई। ऐसे में वह अपने दो छोटे-छोटे भाई बहनों की जिम्मेदारी भला कैसे संभाल पाती। समय बदलता गया और वह आदिवासी बालिका अपने और अपने दो छोटे-छोटे भाई-बहनों के जीवकोपार्जन कड़ी मशक्कत करने लगी। ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों से मदद की गुहार लगाते-लगाते वह थक हार गई। आदिवासी बालिका ने अपनी दर्दभरी दास्तान सुनाते हुए बताया कि वह लोगो से मदद मांगती रही, लेकिन आज तक किसी जिम्मेदार ने उसकी मदद नही की। आदिवासी बालिका आरती कोल ने बताया कि ग्राम पंचायत के दर्जनों चक्कर काटने के बाद वह जिले के तत्कालीन कलेक्टर से अपने भी बहनों की पढ़ाई और खर्च की जिम्मेदारी के लिए मदद की गुहार लगाई, यहां तक कि उसने प्रदेश के मुखिया से भी फरियाद की, लेकिन उसकी किसी ने कोई मदद नही की। नतीजन वह मेहनत मजदूरी कर अपना जीवकोपार्जन कर रही है। आदिवासी बालिका ने बताया कि उसके पास रहने को एक टूटी-फूटी झोपड़ी है, उसके पास न तो रहने के लिए कोई घर है न ही पानी और पेट पालने के लिए कोई साधन। जिससे वह तंगहाली का जीवन जीने को मजबूर है।
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