scriptहाई रिस्क मलेरिया के 65 गांवों में नहीं पहुंच पाता स्वास्थ्य अमला | High Risk does not reach malaria in 65 villages | Patrika News

हाई रिस्क मलेरिया के 65 गांवों में नहीं पहुंच पाता स्वास्थ्य अमला

locationउमरियाPublished: Aug 04, 2018 04:46:20 pm

Submitted by:

shivmangal singh

उमरिया जिले के 50 फीसदी गांवों में मिलते हैं मलेरिया के रोगी

High Risk does not reach malaria in 65 villages

High Risk does not reach malaria in 65 villages

उमरिया. जिले में हर मौसम से लेकर बरसात तक मलेरिया उन्मूलन के प्रयास किए जाते हैं, लेकिन यह प्रयास अपर्याप्त और औपचारिक होने के कारण जिले को इसका विशेष लाभ नहीं मिल पाता है। पूर्व से यहां 65 गांव मलेरिया हाई रिस्क हैं, लेकिन इनके अलावा भी सैकड़ों ऐसे गांव हैं, जहां मलेरिया केे पॉजिटिव केस पाए जा रहे हैं। जिले मेें कुल 51 की संख्या में उप स्वाथ्य केन्द्र हैं। इनके अंतर्गत 332 गांव ऐसे हैं जहां मलेरिया के पॉजिटिव केस मिलते हैं। जबकि जिले में गांवों की कुल संख्या लगभग 660 है। अब स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी है और यहां सघन अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। मेडिकेटेेड मच्छर दानियां पांच वर्षों से जिले में नहीं आईं थीं, लेकिन अब इन्हे शीघ्र मंगाकर अप्रैल में वितरण की प्रक्रिया की जाएगी। इसके अलावा गंदे पानी में पनपने वाले लार्वा को नष्ट करने की कुछ नई विधियां भी अपनाई जा रहीं हंै। जिले केे 332 गांवों में लगभग 3 लाख 87 हजार 394 लोग निवास करते हैं। इन गावों में हाई रिस्क सहित सभी विकासखण्डों के गांव शामिल हैं। इन गांवों में जमड़ी, ममान, बरबसपुर, गोवर्दे, बल्होड़, घुलघुली, परसोल, कटंगी, गहिरा टोला, गाजर, मगर, गहिरा टोला, मझौली खुर्द, बिजौरी, बेली आदि बताए जाते हैं। यह सभी गांव जंगली क्षेत्रों के बीच हैं और इनमें स्वास्थ्य विभाग का अमला कम पहुंचता है। इसके अलावा गांवों में जागरुकता की कमी के कारण गंदगी की अधिकता, घरों के आसपास पानी का भराव तथा इधर-उधर शहरों से काम करके लौटने वाले रोगियों का संक्रमण भी रोग का कारण बताया जाता है।
नाममात्र की बटीं मच्छरदानियां
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2 लाख 28 हजार 851 की संख्या में मच्छर दानियों का वितरण कराएगा। इनमें ऐसी मच्छरदानी जिसमें एक आदमी सो सकेगा 34328, दो आदमियों वाली 1 लाख 48 हजार 753, तीन लोगों की क्षमता वाली 45 हजार 770 मच्छरदानियों का वितरण होना था। जिसमें नाममात्र के ही मच्छरदानियां का वितरण हो पाया है। जबकि इस कार्य में आशा कार्यकर्ताओं नेे सर्वे कर सूची तैयार कर ली थी। इसके लिए प्रति मच्छरदानी वितरण के समय उसे 10 रुपए का पारिश्रमिक भी दिया गया है।
कैसे होता है लार्वा नष्ट
मादा एनाफिलीज मच्छरों के लार्वे गंदे पानी में नष्ट करने के लिए मलेरिया विभाग आयल फिल्मिंग की प्रक्रिया शुरू कराएगा। जिसमें वाहनों के जले तेल का उपयोग गंंदे स्थानों व पानी के जमाव के स्थानों में किया जाएगा। बताया जाता है कि ऐसा तेल पानी में पहुंचते ही एक फि ल्म सी तैयार कर देता है। जिसकी परत में लार्वा चिपक कर मर जाता है। जला तेल उसके जीवन को नष्ट कर देता है। इसके अलावा कूलर की टंकियों में डालने के लिए विभाग छोटी सीसियों में टेमीफॉस की दवा देगा। जिसकी पानी के साथ दो बूंद डालने पर पानी केे आसपास पनप रहा लार्वा नष्ट होगा। गंंबूसिया मछली लगभग तीन सौ जलाशयों मेें डाली गई है। ताकि वह लार्वा नष्ट कर सके
इनका कहना है
मलेरिया से बचने मच्छरदानी बहुत आवश्यक है। मच्छरदानियों की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अप्रैल माह से वितरण शुरू करा दिया गया था। इसके लिए मैदानी अमले की ड्यूटी भी लगाई गई थी।
डॉ. दुर्गा प्रसाद पटेल, जिला मलेरिया अधिकारी
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो