उमरिया. शहर की 35 हजार की आबादी वाले नगर में शादी-ब्याह आयोजनों के लिए न तो पर्याप्त सामुदायिक भवन हैं और न वैधानिक मानदण्डों के अनुरूप बरात घर संचालित हो रहे हैं। लोग मजबूरी में सड़कों, मैदानों अथवा स्कूलों में विवाह का आयोजन करते हैं। 15 वार्डों वाले इस नगर में पूर्व में नगरपालिका ने 6 सामुदायिक भवन बनाने का निर्णय लिया था। शहर में कुल दो सामुदायिक भवन संचालित हैं। शेष चार बनवाए जाने हैं। बरात घर भी केवल 3-4 की संख्या में हैं, जो कि काफी खर्चीले हैं। नगर विकास की प्रक्रिया में ऐसी जरूरी सुविधाओं की ओर अभी तक नपा कोई ठोस उपाय नहीं कर सकी है। बरात के समय सड़कों पर जाम तो लगता ही है और दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा बारात घरों तथा इधर-उधर शादियों से होने वाले कचरे का समुचित रूप से उठाव नहीं होने से सड़कों और बस्तियों में गंदगी भी बहुत अधिक होती है। बताया गया कि जिन लोगों को शादियों का आयोजन करना होता है वे नगर पालिका से बिना अनुमति लिए ही टेंट लगाकर आयोजन कर लेते हैं। शहर में इस समय 8-10 स्थानों में ऐसी स्थितियां दिखाई पड़ रहीं हैं। संकरी सड़कों पर टेंट लगा लिए जाने से आवागमन प्रभावित होता है, इसके अलावा रास्ते पर ही आतिश बाजी चलाई जाती है, जिससे आते जाते लोगों के झुलसने और टेंट में आग लगने का भय बना रहता है। कई बार इस संदर्भ में नगरपालिका का
ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। वार्डों में निवासरत निर्धन बस्तियों के लोग सरलता से अपने आयोजन कर सकें, इसके लिए यह निर्णय लिया गया था कि दो-तीन बस्तियों या वार्डों के बीच एक सुविधायुक्त सामुदायिक भवन बनाया जाए और उसका न्यूनतम शुल्क रखा जाए। ताकि निर्धन लोग सरलता से उसका उपयोग कर सकें, लेकिन यह योजना तेजी से संचालित नहीं हो सकी और कई वर्षों के अंतराल में मात्र लालपुर में एक सामुदायिक भवन बनाया गया। जबकि एक नगरपालिका का बहुत पहले से बना हुआ है। नगर में अभी भी केवल दो सामुदयिक भवन बने हैं। नगर में 4 की संख्या में संचालित बरात घर भी वर्षों पहले बनवाए गए और पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा नगर निवेश के प्रावधान का पालन किए ही बरात घरों का संचालन किया जाने लगा। साथ ही लोगों से एक रात का भारी भरकम किराया लिया जा रहा है। इन बरात घरों में न तो वाहन पार्किंग की सुविधा है और न प्रदूषित जल के निपटारे की व्यवस्था है। इसके अलावा गंदगी के निदान के लिए भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार ठोस अपशिष्ट को एकत्र कर नपा को डिस्पोजल सिस्टम से उसका निपटारा करना चाहिए। पानी की शुद्धता के लिए संयंत्र लगाना चाहिए और जूठन को सुरक्षित एक गड्ढे मेें गाडऩा चाहिए ताकि उससे खाद बन सके, लेकिन कचरे को फेंक कर गंदगी बढ़ाई जा रही है।
इनका कहना हैहाल ही में एक सामुदायिक भवन का उद्घाटन हुआ है, शेष कुछ भवन और भी बनवाए जाएंगे। जगह की भी समस्या आती है। बरातघरों की वैधता केे संबंध में जानकारी ली जाकर कार्रवाई की जाएगी।
हेमेश्वरी पटेल, सीएमओ नपा