scriptलगातार बढ़ रही कुपोषित बच्चों की संख्या | Number of continuously increasing malnourished children | Patrika News

लगातार बढ़ रही कुपोषित बच्चों की संख्या

locationउमरियाPublished: Sep 12, 2017 05:02:00 pm

Submitted by:

Shahdol online

अप्रशिक्षित आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सौंपी गई थी जिम्मेदारी, योजना में गड़बड़ी के आरोप

Number of continuously increasing malnourished children

Number of continuously increasing malnourished children

उमरिया. स्नीप परियोजना में हुए भ्रष्टाचार के दंश को आखिरकार जिले की जनता को भोगना पड़ रहा है। हाल ही में संभागस्तर पर हुई अतिकुपोषित बच्चों की संख्या की जानकारी से मालूम पड़ रहा है। वर्ष 2015 में 1729 बच्चे अतिकुपोषित थे वहीं वर्ष 2017 में यह बढ़कर 2153 तक अतिकुपोषित बच्चों की संख्या पहुंच चुकी है।
ऐसे में स्नीप परियोजना जो कुपोषण को दूर हटाने के लिए प्रदेश के चुनिंदा जिलों में चयन किया गया था, उसके औचित्य पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। स्नीप परियोजना केन्द्र सरकार की एक ऐसी योजना थी, जिसमें कुपोषण से आसानी से जंग लड़ी जा सकती थी। लेकिन इसके शुरू होने के साथ ही विभाग के अधिकारियों ने इसे अपने लिए अतिरिक्त आय का साधन मान लिया, जिसका नतीजा अब देखने को मिल रहा है।
उमरिया जिले में 102 मिनी सहित 763 आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे है। मौजदा सत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ते हुए 2153 हो चुकी है। जिले भर में मानपुर परियोजना में 247, पाली में 182, उमरिया एक में 195 और उमरिया 2 में 139 केन्द्र चल रहे हैं। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के तहत महीने की 1 से 7 तारीख तक सभी जानकारियां जिसमें बच्चों के वजन से लेकर, पोषण आहार पुनर्वास केन्द्र में भेजना तथा पोषण आहार संबंधी गतिविधियां संचालित हो जानी चाहिये। लेकिन स्नीप परियोजना के प्रशिक्षण में हुए भ्रष्टाचार के कारण यहां के कार्यकर्ता इसे करने में सफल नहीं हो पाते हैं, जिसके कारण यह कार्यक्रम अधूरा ही रह जाता है और योजनाएं अंतत: फैल हो जाती हैं।
आरटीआई में नहीं दिया जा रहा जबाब
स्नीप परियोजना में किस प्रकार से धांधलेबाजी हुई है, इसकी जानकारी के लिए लगाई गयी आरटीआई का जबाब नहीं दिया जा रहा है। जिससे यह साबित होता है कि इस परियोजना में जमकर धांधलेबाजी की गयी होगी, समय सीमा बीत जाने के बावजूद विभाग द्वारा आरटीआई का जबाब नहीं दिया जा रहा है। जिला कलेक्टर को प्रथम अपील को भी 20 दिन से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अभी तक जबाब नहीं मिला। जिम्मेदार अधिकारी टालमटोल करते हुए अपने बचाव करते हुए नजर आते हैं।
स्नीप परियोजना का ये हुआ हश्र
स्नीप परियोजना के शुरू होने से आंगनबाडिय़ों में बच्चों की संख्या को आसानी से बढ़ाया जाना था, लेकिन पहले स्नीप परियोजना के प्रशिक्षण में जमकर फर्जी बिल बाउचर से एन केन प्रकरेण किसी प्रकार से आनन-फानन में आधे अधूरे तरीके से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने का दावा किया गया। अप्रशिक्षित प्रशिक्षणकर्ताओं के माध्यम से हुए प्रशिक्षणों से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सही तरीके से प्रशिक्षण नहीं मिल सका, जिसके कारण वे इस योजना का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। मानपुर और पाली ब्लॉक में तो यह स्थिति और भी बुरी साबित हो रही है। परियोजना समन्वयक और ब्लॉक समन्वयक अपने-अपने कार्यालयों से ही इस योजना की मानिटरिंग कर रहे है, जिससे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सुपरवाईजर मनमाने तरीके से काम कर रहे है। निचले स्तर के कर्मचारियों के द्वारा आंगनबाडी केन्द्रों में कम बच्चों की संख्या के लिए हमेशा त्यौंहारों का बहाना तैयार रहता है। किसी भी आंगनबाड़ी केन्द्रों में जितने बच्चे दर्ज होते हैं, उतने बच्चे कभी भी केन्द्रों में उपस्थित नहीं मिलते हैं। परियोजनाओं से जुडे हुए अधिकारियों की मानिटरिंग सही तरीके से नहीं होने से उनका बचाव भी होता रहता है।
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