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कहीं दरारें तो कहीं कचरे से पटी नहर

locationउमरियाPublished: Jun 15, 2019 10:36:20 pm

Submitted by:

ayazuddin siddiqui

दशकों पहले हुआ था नहर का निर्माण, किसानों को नहीं मिलता पानी

Somewhere in the cracks, there is a waste from the canal

कहीं दरारें तो कहीं कचरे से पटी नहर

उमरिया. उमरार बांध से दर्जनों गांव के खेतों को पानी पहुंचाने वाली नहर अब प्रशासनिक देखरेख के अभाव में क्षतिग्रस्त हो चुकी है। नहर में महरोई, ददरी, ऊफरी, चपहा, खलेशर, किरनताल, घंघरी, बड़ेरी की बस्तियों और खेतों का मलबा फेंककर पाटा जा चुका है। कई जगह नहर की दीवाल में सुरंग बनाकर पानी खेतों में घुस रहा है। बावजूद इसके जल संसाधन विभाग द्वारा नहर की मरम्मत को लेकर कागजी घोड़े ही दौड़ाए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि भले ही हाल में हुई बारिश से किसानों को कुछ राहत मिली हो लेकिन रबी में ज्यादातर किसान उमरार की नहर के भरोसे ही खेती करते हैं। फिर भी विभाग द्वारा व्यापक सफाई अभियान नहीं चलाया जाता। सही समय में सुधार न होने के कारण अब नहर का पानी लंबी दूरी नही तय कर पा रहा है। जिसका खामियाजा किसानों को नुकसान के रूप में भुगतना पड़ता है। उमरार नदी के उद्गम स्थल के समीप ददरी गांव निकट करीब 50 एकड़ के रकबे में किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से इस बहु उद्देश्यीय परियोजना का निर्माण किया गया है। बांध से महरोई, ददरी, उफरी, खलेशर, चपहा, घंघरी, पिपरिया, सेमरिया, किरनताल, लालपुर, बड़ेरी सहित दर्जनों गांवों में पानी पहुंचाने का काम किया जाता है। नहर निर्माण के बाद से रख-रखाव का काम जल संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है। लेकिन कई गांवों में नहर कूढ़े-कचरे से अटी पड़ी हुई है।
इनका कहना है
नहर में रख रखाव का काम समितियों के माध्यम से होता है। हम लोग हर साल राशि उन्हे दे देते हैं। शिकायत मिलने पर सुधार करवाया जाता है।
कमलाकर सिंह, एसडीओ।

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