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खड़ी है फसल, नहीं मिल रहे मजदूर

locationउमरियाPublished: Apr 17, 2018 05:11:45 pm

Submitted by:

shivmangal singh

किसानों को सीधे मनरेगा से जोडऩे की मांग

Standing crop, not getting laborers

Standing crop, not getting laborers

उमरिया. इन दिनों लगातार बदलते मौसम के बीच किसान मेहनत करने के बाद गेंहूं की फसल खेतों में खड़ी है। जिले में मजदूरों की कमी के कारण इस फसल को काटने के लिए किसानों को एक और मेहनत करनी पड़ रही है।
विगत सप्ताह से हो रही रुक-रुक के बारिश से यह समस्या और विकराल रूप ले रही है। बताया गया है कि हर साल फसल कटने के समय इस प्रकार की परेशानी बनी रहती है। छोटे किसान जिनके पास मात्र एक एकड़ से लेकर पांच एकड तक की भूमि है उन्हे और ज्यादा परेशानी हो जाती है। बढ़ती महंगाई के दौर में, किसी भी तरीके से आज के मजदूरों की कीमत देने में सक्षम नहीं है। इन्ही परेशानियों के कारण किसानों को पलायन करने के विकल्प को चुनना पड़ता है, लेकिन आधुनिक तकनीक की खेती करना भी प्रत्येक किसान के वश में नहीं है। कुछ गिने चुने किसानों को ही शासकीय अनुदान के साथ ही आधुनिक खेती कर पा रहे हैं। ऐसे में वे सीमान्त किसान जिन्हें लगातार मजदूरों के साथ ही अपने खेतों में खेती करनी है, बढ़ती मजदूरी के कारण खेती छोडऩे के मजबूर हो रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए जिले के किसान लगातार यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें सीधे ही मनरेगा योजना से जोड़ा जाये। मनरेगा के तहत किसानों के खेतों में काम करने वाले मजदूरों को उनकी मजदूरी दी जाए, जिससे किसान आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अपने कदम उठा सके। इस छोटी सी मांग को कुछ किसानों ने जिला प्रशासन से प्रधानमंत्री तक पहुंचाने का प्रयास भी किया गया है, लेकिन शासकीय अधिकारियों का कहना है किसानों को यदि मनरेगा से जोड़ दिया जाता है तो उससेें शासन को क्या लाभ मिलेगा। वहीं किसानों का कहना है कि यदि किसानों को सीधे मनरेगा से जोड़ा जाता है, तो किसान अधिक फसल उत्पादन तो करेगा। साथ ही बैंको और साहूकारों के जाल में भी नहीं फंसेगा। किसान अधिक फसल का उत्पादन करता है, तो उसके एवज में शासन भी सीधे ही फसल का एक भाग किसान से ले सकते है और लिया जाना चाहिये। किसानों का कहना है कि फसल का कितना भाग शासन को लेना चाहिए, इसका निर्धारण शासन स्तर पर होना चाहिए। किसानों को तो जल्दी से जल्दी मनरेगा योजना के तहत जोडऩे की प्रक्रिया को शुरू किया जाना चाहिए। ऐसा करने से वास्तविक रूप में खेती लाभ का धंधा बनते हुए देर नहीं लगेगी।
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