scriptठेकेदार ने इनसे करा लिया काम, अब नहीं दे रहा चार माह का भुगतान | The contractor got the work done from them, now not paying for four mo | Patrika News

ठेकेदार ने इनसे करा लिया काम, अब नहीं दे रहा चार माह का भुगतान

locationउमरियाPublished: Jun 22, 2022 06:11:58 pm

Submitted by:

ayazuddin siddiqui

मामला बिरसिंहपुर पाली संजय गांधी थर्मल पॉवर प्लांट में कार्यरत ठेका श्रमिकों का

The contractor got the work done from them, now not paying for four months

The contractor got the work done from them, now not paying for four months

उमरिया. बिरसिंहपुर पाली संजय गांधी थर्मल पावर प्लांट में कार्यरत ठेका श्रमिक मजदूरों को इन दिनों अपनी मजदूरी के लिए भटकना पड़ रहा है। यूनिट नंबर 3/500 एमडब्ल्यू में संचालित एक कंपनी ने ऑपरेशन तीन में जब से कार्य प्रारंभ किया है तब से मजदूरों के साथ कहीं रेट तो कहीं ड्यूटी को लेकर खींचातानी चल रही है।
मजदूरों ने बताया कि लगभग 8 महीने बीत चुके हैं उसके बाद भी मजदूरी का सही हिसाब किताब कंपनी ठेकेदार ने नहीं किया है। ठेका श्रमिकों का कहना है कि उन्हें विगत 4 माह से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। जिस कारण उसके सामने परिवार के भरण-पोषण जैसा संकट खड़ा हो गया है। मजदूरों ने बताया कि परियोजना के संबंधित अधिकारियों को इस बात की जानकारी लिखित एवं मौखिक रूप से दी जा चुकी है बावजूद इसके मजदूरों की समस्या को नजरअंदाज किया जा रहा है। मजदूरों ने इसकी शिकायत परियोजना के एई एवं डी, पाली थाना सहित सीएम हेल्पलाइन में भी की है पर आज तक समस्या के निराकरण के लिए कोई पहल नहीं की गई।
बताया गया है कि बिरसिंहपुर पाली के मंगठार स्थित संजय गांधी थर्मल पॉवर प्लांट में कार्यरत ठेका मजदूरों से कार्य तो करा लिया जाता है, लेकिन भुगतान के समय में ठेकेदार द्वारा आनाकानी की जाती है। जिससे मजदूरों के सामने जीवन यापन का खतरा मंडराने लगता है। समय पर मजदूरी न मिलने के कारण उनके सामने परिवार के भरण-पोषण की दिक्कत आ जाती है। ठेकेदार की कई बार मजदूरों ने की शिकायत भी लेकिन इसके बावजूद उन्हें भुगतान नहीं कराया गया। जिससे मजूदरों में निराशा है। मजदूरों का कहना है कि वह अपनी मजदूरी पाने के लिए यहां से वहां भटक रहे हैं, पर कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। मजदूरों का कहना है कि अगर उन्हें समय पर मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाएगा तो वह किस तरह से अपने परिवार का पेट भरेंगे। इसका जवाब शायद किसी के पास नहीं है। अक्सर यह देखा गया है कि मजदूरों से पहले काम तो करा लिया जाता है और इसके बाद उनकी मजदूरी देने में आनाकानी की जाती है।

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