सुबह से ही जिला प्रशासन और विधायक दिव्यराज के बीच में कई दौर की बात हुई। इस बीच कलेक्टर के साथ विधायक की बहस का वीडियो भी वायरल हो गया। आखिरकार मान-मनौवल के यह फैसला लिया गया कि बांधवाधीश मंदिर में दिव्यराज कुछ लोगों के साथ जाने की अनुमति दी गई और पूजा-अर्चना के बाग वापस लौटेंगे। समझोते के बाद विधायक दिव्यराज ने कहा कि मंदिर हर साल की तरह सभी के लिए खुलना चाहिए था, लेकिन वन विभाग के मुताबिक हाथी रास्ते पर है इसलिए सभी के लिए अनुमति नहीं दी जा सकती।
भगवान राम ने उपहार में दिया था किला
दूर बांधवगढ़ किला स्थित राम जानकी मंदिर साल में एक बार जन्माष्टमी में श्रद्धालुओं के लिए खुलता है। बाघ व वन्यजीवों के मूवमेंट के बीच मंदिर तक जाने श्रद्धालुओं को कृष्ण जन्माष्टमी में अनुमति मिलती है। मेले में मप्र सहित उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं। हालांकि इस वर्ष जंगली हाथियों के उत्पात की वजह से प्रवेश पर रोक लगाई गई है। दरअसल बांधवगढ़ का किला लगभग 2 हजार वर्ष पहले बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि शिव पुराण में भी इसका उल्लेख है। इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य सिंह ने बनवाया था।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बांधवगढ़ में हर वर्ष होने वाले मेले पर रोक हटाने की मांग को लेकर सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह ताला में धरने पर बैठ गए। कहा, साथियों के साथ तब तक धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक प्रशासन और वन विभाग श्रद्धालुओं की आस्था के सम्मान को ध्यान में रखते हुए भगवान बांधवाधीश के परंपरागत तरीके से दर्शन और पूजा के साथ-साथ सुरक्षा प्रबंधों की जिम्मेदारी नहीं ले लेता।
दिव्यराज सिंह ने बताया, इस संबंध में कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव से चर्चा कर किला पहुंच मार्ग दिखाने की मांग की थी, लेकिन उन्होंने असमर्थता जता दी। बोले, उन्हे व श्रद्धालुओं को पार्क के अंदर नहीं जा रहा। दशकों से जन्माष्टमी पर यहां मेला होता आ रहा है। इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु बांधवगढ़ किले पर राम जानकी मंदिर पहुंच कर बांधवाधीश की पूजा अर्चना करते हैं। इस वर्ष मेला रद्द कर दिया गया है।
पार्क प्रबंधन का कहना था कि किले तक पहुंचने वाले मार्ग में जंगली हाथियों का मूवमेंट बना हुआ है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि हाथियों के बहाने अधिकारी वर्षो पुरानी परंपरा को खत्म करने का षडयंत्र रच रहे हैं। मामले में बीजेपी की संगठन प्रभारी प्रज्ञा त्रिपाठी पहुंची दिव्यराज के समर्थन में रात 12.30 बजे ताला पहुंची। जहां कार्यकर्ताओं और अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई।