उमरियाPublished: May 17, 2022 07:53:22 pm
ayazuddin siddiqui
सिंचाई के साधन उपलब्ध होने से संपन्न है किसान
This was the big reason: from which the village got its name Basadi, also identified with agriculture
उमरिया. उमरिया से 26 किमी दूर नदी किनारे बसाड़ी बसा है। दूध को उबालकर जो साढ़ी बनती है। उसी के नाम पर गांव का नाम बसाड़ी पड़ गया। गांव के चारों तरफ सिंदूरी नदी बहती है। इसके कारण गांव में दोनों फसलों की खेती किसान करते हैं।
गांव में फसलों की सिंचाई के लिए किसान नदी की पानी का प्रयोग करते हैं। गांव में किसान धान, गेहूं, कोदो-कुटकी, अरहर आदि फसलों की खेती करते हैं। इससे गांव में काफी संपन्न किसान हैं। गांव में हर समाज के लोग रहते हैं। गांव में हर घर में गाय और भैंस पाली जाती है। किसान दूध का व्यवसाय करते हैं। दूध से घी, मावा निकालकर उसे दूसरे गांवों में बेचते हैं। गांव भी संपन्नता की ओर आगे बढ़ रहा है। बताया गया कि गांव में दूध की साढ़ी की वजह से विशेष पहचान है। आसपास के कई गांवों से लोग यहां साढ़ी खाने के लिए पहुंचते थे। आज भी यहां से सप्लाई होती है।
दूर से लोग आते थे दूध की साढ़ी खाने
इस गांव में प्राचीन समय में दूसरे गांवों के लोग दूध की साढ़ी खाने के लिए आते थे। गांव में दूध को उबालकर दूध की साड़ी बनाया जाता था। आज भी गांव में दूध को उबालकर दूध की साड़ी बनाया जाता है। गांव ग्राम पंचायत भी है। गांव में छात्र-छात्राओं के पढऩे के लिए एक मिडिल स्कूल है। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को दूसरे गांव में जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि गांव में एक हायर सेकंडरी तक का स्कूल होना चाहिए ताकि गांव के बच्चों को दूसरे गांवों में पढऩे के लिए नहीं जाना पड़े। गांव में एक स्वास्थ्य कलस्टर भी है। गांव के बीच में शंकर पार्वती का मंदिर है। यह प्राचीन मंदिर है। मंदिर पर हर त्योहार में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। ग्रामीणों की मंदिर पर गहरी आस्था है। सुबह और शाम के समय ग्रामीण मंदिर में दर्शन पूजन के लिए पहुंचते हैं। ग्रामीणों का कहना है सच्चे मन से मंदिर में मन्नत मांगने पर वह जरूर पूरी होती है। गांव के पास भांगराज का जंगल भी है।
इनका कहना है
गांव में दूध को उबालकर दूध की साढ़ी बनाया जाता है। इसी के नाम पर गांव का नाम बसाड़ी पड़ा। गांव में रबी और खरीफ दोनों फसलों की खेती होती है। गांव में सिंचाई के लिए ग्रामीण नदी के पानी का उपयोग करते हैं।
अच्छेलाल गुप्ता, ग्रामीण।
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गांव में प्राचीन समय में दूसरे गांवों से लोग दूध की साड़ी खाने के लिए आते थे। आज भी गांव में दूध की साढ़ी बनाई जाती है। गांव में हर घर में पशुपालन किया जाता है। ग्रामीण दूध का व्यवसाय करते हैं। इससे उनकी अतिरिक्त आय हो जाती है।
रामसरोज राय, ग्रामीण।