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उमरिया

बाघ ने चरवाहे को बनाया अपना निवाला

बैल को बचाने के दौरान बाघ ने किया हमला

उमरियाJun 25, 2018 / 04:54 pm

shivmangal singh

Tiger created his cowboy

Tiger created his cowboy

उमरिया/घुनघुटी. जिले के घुनघुटी रेंज अंतर्गत कांचोदर बीट के कक्ष क्रमांक आर एफ 299 के बेड़ही डोगरी हार में टाइगर ने मवेशी लेकर गए चरवाहे पर हमला कर दिया। जिससे उसकी मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक शनिवार की शाम मृतक मोहे लाल बैगा पिता मायाराम बैगा उम्र 50 वर्ष हमेशा की तरह मवेशी को चराने गया हुआ था। देर शाम गाव के अन्य मवेशी अपने घर लौट आये और मोहे लाल नही लौटा तो परिजन एवं गांव के कुछ लोग मोहेलाल की तलाश में निकल पड़े, लेकिन देर हो जाने के कारण अंधेरा हो चुका था। जिससे मोहेलाल का कही पता नही चला, जहां परिजन घर लौट आये और दूसरे दिन सुबह फिर तलाश में जुट गए और उन्हें रविवार की सुबह करीब आठ बजे मोहेलाल का क्षत विक्षत शव मिला। जिसकी सूचना वन एवं पुलिस को दी गयी। सुबह लगभग दस बजे सूचना मिलते ही एसडीओ वन राहुल मिश्रा, घुनघुटी रेंजर एसके त्रिपाठी, घुनघुटी चौकी प्रभारी आरके गायकवाड़, पाली सहायक उप निरीक्षक मनीष कुमार, प्रधान आरक्षक संदीप शुक्ला, नरेन्द्र मार्को तुरंत मौके पर पहुंच कर शव का पंचनामा कर शव को पीएम हेतु पाली भेजा गया। जहां से पीएम उपरांत शव परिजनों के सुपुर्द किया गया। एसडीओ राहुल मिश्रा ने बताया की मृतक के परिजनों को क्रियाकर्म के लिए तत्काल 5000 रुपये आर्थिक सहायता राशि दी गई है। मृतक के नजदीकी परिजन को कुल चार लाख रुपये की राशि दो दिवस के भीतर दी जायेगी। एसडीओ ने बताया कि मृतक मवेशी चराने गया हुआ था। घटना को देखते हुए यह प्रतीत हो रहा है कि टाइगर ने जब बैल के ऊपर हमला किया, तब मोहेलाल भी वहीं पर था। बैल पर हमला होता देख मोहेलाल ने बैल को बचाने का प्रयास किया होगा। जिससे टाइगर ने मोहेलाल के ऊपर भी हमला कर दिया।जिसकी वजह से यह दर्दनाक घटना हो गई। गौरतलब है कि यह कोई पहली घटना इस क्षेत्र में नही है, इसके पूर्व भी कई लोगों को बाघ अपना शिकार बना चुका है, वहीं लोगों का कहना है कि घुनघुटी रेंज से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा लगी होने के कारण और टाइगर रिजर्व कुप्रबंधन का शिकार होने के कारण बाघ वहां से भाग कर पड़ोसी रेंज के जंगलों में शरण लेते हैं और वहां पशुओं के साथ मनुष्यों को भी शिकार बनाते हैं।
जंगल में गूंज रही दहाड़, ग्रामीणोंं में दहशत
घुनघुटी. ग्रामीणों ने बताया है कि उक्त घटना के बाद अभी भी जंगल में बाघ दहाड़ गूंज रही है। जिससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि अभी बाघ का खतरा टला नहीं है, बल्कि बढ़ गया है। यदि बाघ को जंगल से अन्यत्र नहीं खदेड़ा गया तो वह फिर ऐसी अन्य घटनाओं को अंजाम दे सकता है।
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