उमरिया

सब्जी, फूल व अन्य फलदार पौधे बनेगे लाभ का धंधा

उद्यानिकी फसलों में मिलेगा अनुदान

उमरियाDec 07, 2017 / 11:36 am

Shahdol online

Vegetable flower and fruitful plants will become profitable business

उमरिया. सब्जी, फूल एवं अन्य फलदार पौधे लगाकर कृषि को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। इसमें शासन द्वारा देय अनुदान और नि:शुल्क तकनीकी ज्ञान विभाग द्वारा घर आकर दिया जाएगा। एक हेक्टेयर तक के लिए सब्जी बीज में दस हजार का अनुदान भी मिलेगा वहीं बगीचे लगाने के लिए 60 हजार रुपये का अनुदान भी उपलब्ध कराया जा सकेगा, सिर्फ किसानों को आनलाइन आवेदन करने की जरूरत है।
इसी प्रकार सब्जी एक ऐसी फसल है। जो कम पानी में वर्ष में कई बार ली जा सकती है। पांच एकड़ में जितना लाभ कृषि से नही लिया जा सकता उससे कहीं अधिक लाभ 50 डिसमिल की जमीन में सब्जी उत्पादन कर प्राप्त किया जा सकता है। कम पानी में टपक सिंचाई योजना के जरिए सामान्य खेती से मात्र 10 प्रतिशत पानी में भी सब्जी का उत्पादन लिया जा सकेगा।
यह जानकारी करकेली विकासखण्ड के भरौला, बांका, पतरेई, रामपुर, पाली, लोढ़ा आदि ग्रामों में कलेक्टर माल सिंह के भ्रमण कार्यक्रम के दौरान सहायक संचालक उद्यान आर बी पटेल ने किसानों को दी।
कलेक्टर माल सिंह ने किसानों से रूबरू होते हुए सलाह दी है कि वो सब्जी उत्पादन एवं अन्य उद्यानिकी फसलें उत्पादित कर लाभ का धंधा बनाए। उन्होने कहा कि जिले में सब्जी की अत्यधिक मांग रहती है। जिसकी पूर्ति कटनी, जबलपुर एवं बिलासपुर से होती है। यदि किसान सब्जी उत्पादन में जुटे तो बाजार की समस्या भी नही होगी और उन्हें परंपरागत खेती की तुलना में दुगुना लाभ मिलेगा। सब्जी लगाने के तकनीकी ज्ञान देने के लिए उद्यानिकी एवं कृषि विभाग गांव-गांव जाएगा और उन्हें बीज तथा यंत्र 80 प्रतिशत तक अनुदान में उपलब्ध कराने की जानकारी देंगे। कलेक्टर ने उक्त ग्रामों में चौपाल लगाकर परंपरागत खेती से होने वाले लाभ के संबंध में पूछताछ की। जिसमें किसानों ने बताया कि अल्प वर्षा से फसलें प्रभावित हुई है, सिर्फ जीवन जीने के लिए खेती माध्यम है।
यदि घर में अन्य कोई कार्य पड़े, तो दूसरे की मदद या बाहर काम करने के लिए जाना पड़ता है। कार्यक्रम में एसडीओ कृषि डॉ. प्रेम सिंह ने भी साग, भाजी, फूल एवं क्राप्ट वाली अन्य फसलों का उत्पादन लेने पर जोर देते हुए कहा कि कृषि यंत्रों पर 70 से 80 प्रतिशत तक अनुदान लिया जाता है जिसका लाभ उठाए। कमजोर एवं पथरीली जमीन में नीबू, मुनगा, आम, अमरूद आदि का पौधा लगाने, मेढ में पौधा लगाए और मिश्रित खेती के साथ साथ मशरूम की खेती कर अधिक आमदनी लेने की तकनीक से अवगत कराया।
अरहर, चना एवं अन्य फसलो में लगने वाले कीट के उपचार के संबंध में देशी नुक्से भी बताए। कलेक्टर के भ्रमण के साथ कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास मनमोहन सिंह, जिला समन्वयक स्वच्छ भारत मिशन मनीषा काण्ड्रा, सहायक यंत्री पीएचईडी सोनाली सिन्हां, आरएईओ, कृषि उद्यान विस्तार अधिकारी, सचिव, सरपंच सहित कृषकगण उपस्थित रहे।
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