उमरिया

बारिश के मौसम में भवनों की छत से टपकता है पानी

अव्यवस्थाओं से जूझ रहे 20 आंगनबाड़ी केन्द्र

उमरियाSep 12, 2018 / 05:06 pm

ayazuddin siddiqui

बारिश के मौसम में भवनों की छत से टपकता है पानी

उमरिया. महिला बास विकास पाली परियोजना अंतर्गत स्थित लगभग 20 आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुविधाओं का अभाव है। जिससे यहां परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बताया गया कि एक दर्जन से अधिक केन्द्र ऐसे हैं जो अत्यंत जर्जर भवनों में संचालित हो रहे हैं। इन केन्द्रो में बरसात के मौसम में वर्षा का पानी अंदर कमरों में टपकता है और कक्षाओं के संचालन में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
कई केन्द्रों में बाउण्ड्रीवाल का अभाव है इस कारण यहंा आवारा मवेशियों की घुसपैठ बनी रहती है। सुरक्षा के अभाव में यहां न तो वृक्षारोपण हो पाता है और न वाटिका विकसित हो पाती है। इसके अलावा कठई पंचायत अंतर्गत 3 आंगनबाड़ी केन्द्र व सुंदर दादर अंतर्गत 8 केन्द्र ऐसे हैं जहां न तो लाइट की व्यवस्था है और न यहां मोबाइल का नेटवर्क काम करता है। सूचना संदेश आदि के लिए परेशानी उठानी पड़ती है। जबकि विभाग ने त्वरित सूचनाओं और संपर्क के लिए केन्द्रोंं को मोबाइल सेट वितरित किए हैं।
बताया गया कि इन केन्द्रों मेंं सड़कों की पर्याप्त व्यवस्था नही होने से बगाों की लंबाई व वजन नापने की मशीनें इंसेटोमीटर, स्पीडियोमीटर, भारोत्तोलन आदि मशीने भी विलंब से पहुंची हैं। सुरक्षित आवास की सुविधा के बिना 6 केन्द्रों को किराए के आवासों में संचालित करना पड़ रहा है। जहां न तो निस्तार की सुविधा है और न बगाों को खेलने के लिए मैदान है। आसपास गंदगी भी रहती है। इन केन्द्रो के भवन के बारे में कई बार अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया गया लेकिन व्यवस्था नहीं हो सकी।
बकेली जैसे कुछ आंगनबाड़ी केन्द्रों में जहां पहुंच की सबसे बड़ी परेशानी है सीधी सड़कें नहंी है वहां की कार्यकर्ताएं पहले 12 किमी शहडोल आतीं हैं फिर यहां से 30 किलोमीटर का सफर तय कर पाली कार्यालय पहुंचती हैं। गांव के अंदर भी आवागमन की पर्याप्त सुविधा नहंी है। केन्द्रो तक कगो ढर्रों से आनाजाना पड़ता है। बरसात के मौसम में कीचड़ की अधिकता से ग्रामीणों को अपने बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रो में पहुंचाना कठिन रहता है।
इनका कहना है
आंगनबाड़ी केन्द्रों में सुधार व व्यवस्था हेतु शासन का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। जर्जर भवनों के लिए प्रस्ताव स्वीकृत हो चुका है। राशि आते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
मोनिका सिंह, परियोजना अधिकारी पाली।

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