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विवाह पंजीकरण के लिए आधार कार्ड अनिवार्य , सभी धर्मों के लिए लागू होगा शासनादेश

locationउन्नावPublished: Oct 06, 2017 03:55:40 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

धार्मिक रीति रिवाज नहीं विवाह को कानूनी जामा पहनाये
 

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उन्नाव. संस्कार सात फेरों का या फिर शरीयत के अनुसार अनुबंध अब कानून इनको मान्यता नहीं देता है। मंडप के नीचे शादी करके समाज में भले ही आप शादीशुदा कहलाये। परंतु कानूनी रूप में आप नहीं बन सकते है। इसके लिये आपको कानून की शरण में जाना पड़ेगा और विवाह पंजीकरण कराना होगा। विवाह पंजीकरण के बिना भविष्य में कानूनी अड़चनों में फंस सकते है। इस प्रकार का शासनादेश जारी कर दिया गया है। शासनादेश में स्पष्ट रूप से आदेशित है कि विवाह पंजीकरण के बाद पत्नी होने का कानूनी अधिकार प्राप्त होगा। इससे महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं में भी रोक थाम लगेगी।
शासन की मंशा से एक तरफ जहां महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा होगी, वहीं मासूम लड़कियों को भ्रमित कर शादी के भ्रम के जाल में फंसकर जिन्दगी बर्बाद करने वाली लड़कियों की सुरक्षा हो सकेगी। इसके साथ ही आधार से लिंक होने के कारण बाल विवाह, बहुविवाह करने पर भी भी रोक लगेगी। विवाह पंजीकरण में पंजीयन कराने के बाद किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सकता है। इस संबंध में सहायक महानिरीक्षक निबंधन प्रकाश चंद्र गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली के अनुसार आगामी 3 अगस्त 2017 के बाद विवाह करने वालों को चाहे वह किसी भी धर्म का हो पंजीकरण कराना अनिवार्य है। उन्होंने कहा इसे सामाजिक कुरीतियां दूर होंगी।
महिलाओं को मिलेगी कानूनी सुरक्षा कवच

महिला व बाल विकास विभाग द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 के अनुसार अब विवाह का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश का स्थाई निवासी या जिनका विवाह उत्तर प्रदेश में हुआ हो पंजीकरण अनिवार्य है। रजिस्ट्रेशन के समय पति-पत्नी को अपना आधार नम्बर देना अनिवार्य होगा। बिना इसके शादी का पंजीकरण नहीं होगा। इस सम्बंध में बातचीत करने पर सहायक महानिरीक्षक निबंधन प्रकाश चंद्र गुप्ता ने बताया कि शासनादेश लागू होने से विवाह व पूर्नविवाह का पंजीकरण होने से पति पत्नी को कानूनी अधिकार मिल जायेगें।
इसके साथ ही बहु विवाह पर रोक लगेगा। उन्होंने बताया कि पंजीकरण अनिवार्य होने से बाल विवाह पर भी अंकुश लगेगा। उन्होने बताया कि इसके लिये शासन ने पंजीकरण शुल्क निर्धारित कर दिया है। विवाह सम्पन्न होने से एक साल के अंदर पंजीकरण शुल्क मात्र दस रुपये है। इसके बाद पचास रुपये प्रति वर्ष की दर से शुल्क लगेगा।
गुप्ता ने बताया कि विवाह का पंजीकरण विभाग की वेबसाइट पर आनलाइन भी कराया जा सकता है। विवाह पंजीकरण आधार से लिंक किया जायेगा। जिससे किसी प्रकार का फर्जी पंजीकरण न हो सके। उन्होंने बताया कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं होगा उन्हें विवाह पंजीयन अधिकारी के समक्ष अपनी पहचान प्रस्तुत करके पंजीयन करा सकता है। जो सभी धर्मों के लिए अनिवार्य है।
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