scriptइस सीट पर सभी पार्टियों को मिली जीत, कांग्रेस सबसे ज्यादा बार जीती, 2019 में ऐसे बने रहे सियासी समीकरण | All the parties here win, Congress won the most times, in 2019 Congres | Patrika News

इस सीट पर सभी पार्टियों को मिली जीत, कांग्रेस सबसे ज्यादा बार जीती, 2019 में ऐसे बने रहे सियासी समीकरण

locationउन्नावPublished: Aug 28, 2018 04:28:50 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

1952 से 2014 तक हुए लोकसभा चुनाव का पूरा लेखा-जोखा, सबसे ज्यादा कांग्रेस ने राज किया, भाजपा दूसरे नंबर पर

कांग्रेस सबसे ज्यादा बार जीती, 2019 में कांग्रेस-भाजपा में

इस सीट पर सभी पार्टियों का खुला खाता, सबसे ज्यादा बार जीती कांग्रेस, 2019 में ये ऐसे बन रहे सियासी समीकरण

उन्नाव. 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता किसको चुन कर भेजती है यह तो भविष्य के गर्त में है। लेकिन जनपद से लोकसभा का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक 9 बार कांग्रेस ने किया। उसके बाद भाजपा का नंबर आता है। जिसने 3 बार लोकसभा चुनाव में परचम फहराया है। सपा और बसपा के लोकसभा सदस्यों ने भी अपना कार्यकाल पूरा किया है। इसके अतिरिक्त जनता दल, जनता पार्टी ने भी लोकसभा प्रत्याशियों की सूची में अपना नाम दर्ज कराया है। इन सबके बावजूद भी जिले की स्थिति में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया। सांसद भले ही हाई प्रोफाइल का हो। लेकिन उसका असर विकास कार्यों में नहीं दिखाई पड़ा। जिससे लखनऊ कानपुर के बीच उन्नाव के जनपद वासी अपने आप को ठगा महसूस करते हैं। 1952 के बाद से जिले की जनसंख्या तो अवश्य बढ़ी। लेकिन उस अनुपात में विकास कार्य नहीं हो पाया। लोकसभा सदस्य साक्षी महाराज इस विषय में कल भी चुके हैं कि कानपुर लखनऊ के बीच उन्नाव ***** गया है। 2019 के सियासी समीकरण पर अभी असमंजस के बादल छाए हैं। परंतु चर्चाओं को हकीकत का रुप दिया गया तो निवर्तमान सांसद के लिए उन्नाव की सीट कांटो भरी हो सकती है।
इंडियन नेशनल कांग्रेस ने जीत शुरुआत की

1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विशंभर दयाल त्रिपाठी ने इंडियन नेशनल कांग्रेस से जीत हासिल की थी। 1957 में एक बार फिर उन्होंने जीत हासिल की। उनके निधन के बाद हुए 1960 के उपचुनाव में लीलाधर कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 1962 व 67 में कांग्रेस के कृष्ण देव त्रिपाठी जीत हासिल की। 1971 में कांग्रेस के जियाउर रहमान अंसारी ने जीत हासिल की। 1977 के चुनाव में कांग्रेस को झटका लगा और जनता पार्टी के राघवेंद्र सिंह ने जीत हासिल कर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन 1980 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने बाजी मारी और जियाउर रहमान अंसारी ने वापसी करते हुए जीत हासिल की। 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। 1989 के चुनाव में जनता जल के अनवार अहमद ने लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया।
तीन बार भारतीय जनता पार्टी के पास

परंतु इसके बाद लगातार तीन बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी देवी बक्स सिंह ने 1991, 1996 और 1998 में लगातार जीत हासिल की। 1999 के बाद क्षेत्रीय पार्टियों ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उपस्थिति का एहसास कराया और 1999 में हुए लोकसभा के चुनाव में दीपक कुमार समाजवादी पार्टी से जीत हासिल की। इसके बाद बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी बृजेश पाठक ने 2004 में जीत हासिल की। लंबे समय तक जनपद की राजनीति दूर रहने वाली कांग्रेस को जनता ने एक बार फिर मौका दिया और अन्नू टंडन के द्वारा किए गए जनसंपर्क व संस्था के माध्यम से किए गए कार्य का परिणाम सामने आया। अन्नू टंडन ने 2009 के चुनाव में भारी अंतर से जीत हासिल की। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड था। लेकिन मोदी लहर में अन्नू टंडन अपनी सीट बरकरार नहीं रख सकी। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा के साक्षी महाराज ने जीत हासिल कर एक बार फिर बता दिया यहां पर बाहरी प्रत्याशियों का भी वजूद मजबूत है।
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