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मरीजों को दवा नहीं मिलती एक्सपायर होने पर फेंक दी जाती है सड़क किनारे

locationउन्नावPublished: Sep 09, 2018 07:09:08 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

गैर जनपद की एक्सपायर दवाइयों का निस्तारण केंद्र बना उन्नाव लाखों रुपए की एक्सपायर दवाइयों का जखीरा दूसरी बार मिला हसनगंज कोतवाली क्षेत्र में

 एक्सपायर दवाइयों का जखीरा

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उन्नाव. एक बार फिर हसनगंज कोतवाली क्षेत्र में एक्सपायरी दवाइयों का ढेर मिला। सड़क किनारे पड़े ढेर को देखकर इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे स्वास्थ्य कर्मियों ने मौके पर पड़ी दवाइयों का निरीक्षण कर जांच पड़ताल किया और नियमानुसार उन्हें गड्ढा खोदकर भरवा दिया। हसनगंज स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉक्टर नितिन ने बताया कि यह दवाइयां जनपद की नहीं है। यह सभी दवाइयां ब्रांडेड कंपनी की है और मेडिकल कॉलेज में सप्लाई की जाती है। उन्होंने बताया कि इन दवाइयों में सिरप और इंजेक्शन है। दवाओं का सैंपल लिया गया है। जांच के लिए भेजा जाएगा।
भारी मात्रा में मिली दवाइयां जिसकी कीमत लाखों में

गौरतलब है कि इसके पूर्व भी नसरतपुर में सड़क के किनारे भारी मात्रा में एक्सपायरी दवाइयां मिली थी। निरीक्षण के दौरान मौके पर मेडिकल कॉलेज जालौन के पर्चे भी मिले थे। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि जो दवाइयां मिली है वह पूर्व में मिले दवाइयों की ब्रांड की ही है। ऐसे में बात साफ होती है कि यह दवाइयां भी मेडिकल कॉलेज जालौन की हो सकती हैं। लगातार दवाइयों के मिलने से जनपद चर्चा का विषय बन जाता है। वही डॉक्टरों की माने तो इस प्रकार की दवाइयां प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपलब्ध नहीं कराई जाती हैं। यह दवाइयां उच्च गुणवत्ता वाली हैं। जो मेडिकल कॉलेज के लिए सप्लाई होती हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इन का प्रयोग नहीं करते हैं। जिससे दवाइयां एक्सपायर हो जाती हैं। बाद में जिन्हें गैरकानूनी तरीके से नष्ट करने का प्रयास किया जाता है। इधर बातचीत के दौरान जिला अस्पताल के कई डॉक्टरों ने ब्रांडेड दवाइयों को देख कहा कि जिला अस्पताल में दवाइयों का टोटा रहता है वहीं मेडिकल कॉलेज में बड़ी मात्रा में दवाइयां भेजी जाती हैं। बताया जाता है मेडिकल कॉलेज का कोटा होता है। जिसके अंतर्गत यह दवाइयां वहां भेजी जाती हैं। जबकि मेडिकल कॉलेज में इनकी खपत भी नहीं होती है। वैसे ब्रांडेड दवाइयों को देख कर स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों के मुंह में पानी आ गया उनका कहना था कि यह दवाइयां अगर स्वास्थ्य केंद्रों में मिल जाए तो क्या कहना।
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