जिलाधिकारी देवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने समस्त उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि नदियों में प्रतिबंधित अवधि में मत्स्य आखेट एवं मत्स्य बीज एकत्रीकरण पर रोक है। वर्षा ऋतु में भारतीय मेजर कार्प मछलियां कतला, रोहू व नैन तथा विदेशी, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प व कामन कार्प मछलियां प्रजनन करती है। इन मछलियों के संवर्धन व संरक्षण हेतु मत्स्य अधिनियम 1948 के प्राविधानों के अंतर्गत उप्र उत्तर प्रदेश मत्स्य (विकास एवं नियंत्रण) नियमावली 1954 द्वारा नदियों में दिनांक 15 जुलाई से 30 सितंबर की अवधि में फ्राई एवं फिंगरलिंग मत्स्य बीज को पकड़ने, नष्ट करने अथवा बेचने तथा दिनांक 15 जून से 30 जुलाई तक मत्स्य प्रजनन अवधि में मत्स्य शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाया गया है। राजस्व विभाग द्वारा नदियों में मत्स्य आखेट हेतु पट्टा/ठेका का अधिकार दिए जाने संबंधी जारी शासनादेश के अंतर्गत भी 01 जून से 31 अगस्त तक नदियों में मत्स्य आखेट को प्रतिबंधित रख उक्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। अतः उक्त प्राविधानों के आलोक में निर्दिष्ट अवधि में जनपद उन्नाव की सीमान्तर्गत प्रवाहित होने वाली नदियों में मत्स्य बीज पकड़ने, नष्ट करने एवं मत्स्य शिकारमाही पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
निरीक्षक स्तर का अधिकारी करेगा चेकिंग
उन्होंने बताया कि उक्त अवधि में नदियों से मछली एवं मत्स्य बीज की शिकारमाही की चेकिंग हेतु राजस्व विभाग, पुलिस विभाग, मत्स्य विभाग की टीम (निरीक्षक स्तर से नीचे नहीं) को अधिकृत किया जाता है। उन्होंने कहा कि निर्दिष्ट अवधि में जो भी व्यक्ति नदियों में मत्स्य बीज एवं मछली का अवैधानिक शिकार/ बिक्री करते हुये पकड़ा जाएगा उसके विरुद्ध नियमानुसार फिशरीज एक्ट-1948 के अंतर्गत दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। यह आदेश तत्काल प्रभावी होगा।