scriptद्वापर युग में स्थापित शिवलिंग की खुदाई के समय आक्रांता औरंगजेब के सैनिकों को सबक सिखाया था भंवरों ने, नाम पड़ा भवरेश्वर | BHANVARESHVAR MANDIR - Bhimeshwar Mahadev established in Dwapar era | Patrika News

द्वापर युग में स्थापित शिवलिंग की खुदाई के समय आक्रांता औरंगजेब के सैनिकों को सबक सिखाया था भंवरों ने, नाम पड़ा भवरेश्वर

locationउन्नावPublished: Aug 01, 2019 12:54:22 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

– BHANVARESHVAR MANDIR उन्नाव के हिलोली विकास खंड के गांव बरेंदा में स्थित है
– लखनऊ रायबरेली और उन्नाव जिले की सीमा पर स्थित है भवरेश्वर महादेव सिद्ध पीठ
– लखनऊ, रायबरेली और उन्नाव से सड़क मार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता है

भवरेश्वर महादेव

द्वापर युग में स्थापित शिवलिंग की खुदाई के समय आक्रांता औरंगजेब के सैनिकों को सबक सिखाया था भंवरों ने, नाम पड़ा भवरेश्वर

उन्नाव. पांडवों के अज्ञातवास के दौरान माता कुंती शिवलिंग का जलाभिषेक किए बिना कुछ ग्रहण नहीं करती थी। माता कुंती की प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए भीम ने सई नदी के किनारे शिवलिंग की स्थापना की थी। जिसके बाद शिवालय को भीमेश्वर के नाम से जाना जाता था। आक्रांताओं के शासनकाल में भीमेश्वर ख्याति सुन शिवलिंग को निकालने का प्रयास किया गया। खुदाई के दौरान निकले भंवरे के हमलों से आक्रांताओं के सैनिक भाग खड़े हुए। जिसके बाद शिवाले का नाम भवरेश्वर हो गया। लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव जनपद की सीमा से सटे भवरेश्वर बाबा का सिद्ध पीठ शिवलिंग पर वैसे तो 12 महीने शिव भक्तों के द्वारा जलाभिषेक करने का क्रम बना रहता है। लेकिन सावन के महीने में भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। सई नदी के किनारे स्थित भवरेश्वर महादेव शक्ति सिद्ध पीठ की मान्यता है कि जो सच्चे मन, भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करता है। भोले बाबा उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं। यहां की प्राकृतिक छटा भक्तों का मन मोह लेती है।

मंदिर का इतिहास, धार्मिक मान्यता व आस्था स्वर्णिम है

द्वापर युग में पांडव अज्ञातवास के दौरान सई नदी के किनारे अपना समय बिताया था। इस दौरान माता कुंती की पूजा अर्चना की प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए महाबलशाली भीम ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी। हिलोली विकास खंड के गांव बरेंदा में स्थित भवरेश्वर महादेव बाबा की प्रसिद्धि लखनऊ रायबरेली में भी है। राजनेताओं की भी यहां पर उपस्थिति होती है सावन के महीने में रुद्राभिषेक यज्ञ का क्रम बना रहता है।

आक्रांता औरंगजेब को शिवलिंग बाहर निकालते समय मिला था सबक

भीमेश्वर शिवालय की प्रसिद्धि व आस्था देख आक्रांता औरंगजेब ने अपने सेना को शिवलिंग बाहर निकालने का निर्देश दिया। इस संबंध में रमेश गोस्वामी ने बताया कि औरंगजेब के सैनिकों ने शिवलिंग को बाहर निकालने का काफी प्रयास किया। इस प्रयास के दौरान सबसे पहले दूध निकला। भोले बाबा का यह संकेत औरंगजेब के सैनिकों को नहीं समझ में आया। दूसरी बार में खून निकला, फिर भी नहीं माने तो भारी संख्या में निकले भंवरों ने औरंगजेब की सैनिकों पर हमला बोल दिया। जिससे औरंगजेब के सैनिक मौके से भाग निकले। इसके बाद शिवालय का नाम भीमेश्वर से बदलकर भवरेश्वर हो गया।

सावन के महीने व महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है

इस संबंध में बातचीत करने पर भवरेश्वर मंदिर के नियमित रूप से दर्शन करने वाले संजय पांडे ने बताया कि जो भी भक्त श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पूजा-अर्चना करता है। भवरेश्वर बाबा उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं। सावन के महीने के साथ महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर भक्तों का रैला उमड़ता है। सई नदी में स्नान करके भक्तगण शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।

लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव के भक्तगण कैसे पहुंचे भवरेश्वर महादेव

उन्नाव के जनपद मुख्यालय से भवरेश्वर महादेव की दूरी लगभग 62 किलोमीटर है। लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भल्ला फार्म से कांथा, कालूखेड़ा होते हुए भवरेश्वर जाने का सबसे अच्छा और सुगम मार्ग है। जबकि लखनऊ से आने वाले भक्तों के लिए मोहनलालगंज, कालूखेड़ा होते हुए भवरेश्वर जाने का 48 किलोमीटर लंबा मार्ग है। इसके अतिरिक्त लखनऊ से मोहनलालगंज, निगोहा होते हुए लगभग 42 किलोमीटर का मार्ग है। लेकिन यह मार्ग सिंगल और गड्ढा युक्त है। इसी प्रकार रायबरेली जनपद गंगागंज, हरचंदपुर, बछरावां होते हुए लगभग 49 किलोमीटर की दूरी तय करके भंवरे सुर महादेव बाबा के दरबार में जाया जाता है।

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