द्वापर युग में पांडव अज्ञातवास के दौरान सई नदी के किनारे अपना समय बिताया था। इस दौरान माता कुंती की पूजा अर्चना की प्रतिज्ञा को पूरी करने के लिए महाबलशाली भीम ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी। हिलोली विकास खंड के गांव बरेंदा में स्थित भवरेश्वर महादेव बाबा की प्रसिद्धि लखनऊ रायबरेली में भी है। राजनेताओं की भी यहां पर उपस्थिति होती है सावन के महीने में रुद्राभिषेक यज्ञ का क्रम बना रहता है।
भीमेश्वर शिवालय की प्रसिद्धि व आस्था देख आक्रांता औरंगजेब ने अपने सेना को शिवलिंग बाहर निकालने का निर्देश दिया। इस संबंध में रमेश गोस्वामी ने बताया कि औरंगजेब के सैनिकों ने शिवलिंग को बाहर निकालने का काफी प्रयास किया। इस प्रयास के दौरान सबसे पहले दूध निकला। भोले बाबा का यह संकेत औरंगजेब के सैनिकों को नहीं समझ में आया। दूसरी बार में खून निकला, फिर भी नहीं माने तो भारी संख्या में निकले भंवरों ने औरंगजेब की सैनिकों पर हमला बोल दिया। जिससे औरंगजेब के सैनिक मौके से भाग निकले। इसके बाद शिवालय का नाम भीमेश्वर से बदलकर भवरेश्वर हो गया।
सावन के महीने व महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है
इस संबंध में बातचीत करने पर भवरेश्वर मंदिर के नियमित रूप से दर्शन करने वाले संजय पांडे ने बताया कि जो भी भक्त श्रद्धा एवं विश्वास के साथ पूजा-अर्चना करता है। भवरेश्वर बाबा उसकी सभी मनोकामना पूरी करते हैं। सावन के महीने के साथ महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर भक्तों का रैला उमड़ता है। सई नदी में स्नान करके भक्तगण शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
उन्नाव के जनपद मुख्यालय से भवरेश्वर महादेव की दूरी लगभग 62 किलोमीटर है। लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भल्ला फार्म से कांथा, कालूखेड़ा होते हुए भवरेश्वर जाने का सबसे अच्छा और सुगम मार्ग है। जबकि लखनऊ से आने वाले भक्तों के लिए मोहनलालगंज, कालूखेड़ा होते हुए भवरेश्वर जाने का 48 किलोमीटर लंबा मार्ग है। इसके अतिरिक्त लखनऊ से मोहनलालगंज, निगोहा होते हुए लगभग 42 किलोमीटर का मार्ग है। लेकिन यह मार्ग सिंगल और गड्ढा युक्त है। इसी प्रकार रायबरेली जनपद गंगागंज, हरचंदपुर, बछरावां होते हुए लगभग 49 किलोमीटर की दूरी तय करके भंवरे सुर महादेव बाबा के दरबार में जाया जाता है।