मामला बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र का है। 2014 में नामजद आरोपियों ने गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया था। इसका मुकदमा अपर जिला जज कोर्ट में राज्य बनाम पप्पू उर्फ विजय के खिलाफ चल रहा है। गैंगरेप के सभी चार आरोपी जेल में बंद हैं। घटना की विवेचना तात्कालीन बांगरमऊ कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर ऋषि कांत शुक्ला कर रहे हैं। इसी बीच उनका स्थानांतरण कानपुर देहात हो गया और वर्तमान में कोतवाली प्रभारी अकबरपुर में तैनात हैं। अदालत ने विवेचना अधिकारी की गवाही के रूप में इंस्पेक्टर ऋषि कांत शुक्ला को कई बार नोटिस दी गई, परंतु अदालत के आदेश के बाद भी कोर्ट में हाजिर नहीं हुए।
इसके बाद अपर जिला जज की तरफ से पुलिस अधीक्षक कानपुर देहात को भी पत्र लिखा गया। लेकिन विवेचना अधिकारी अपनी गवाही देने के लिए तारीख पर पेश नहीं हुए। अपर जिला जज की अदालत में बांगरमऊ कोतवाली के पैरोकार से इस संबंध में बातचीत करते हुए विवेचना अधिकारी को बुलाने का प्रयास किया गया। बांगरमऊ के पैरोकार ने विवेचना अधिकारी व वर्तमान कोतवाली प्रभारी अकबरपुर जनपद कानपुर देहात से फोन पर बातचीत करके साक्षी के गवाही देने के लिए तारीख ली गई। लेकिन उस तारीख में भी विवेचना अधिकारी हाजिर नहीं हुए।
इसके बाद अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए विवेचना अधिकारी व वर्तमान इंस्पेक्टर थाना कोतवाली अकबरपुर जनपद कानपुर देहात के खिलाफ वारंट जारी करते हुए पुलिस महानिरीक्षक कानपुर को आदेशित किया कि आगामी 18 जुलाई को विवेचना अधिकारी ऋषि कांत शुक्ला को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाए। अदालत के आदेश के बाद पुलिस की भूमिका पर एक बार फिर सवाल उठ रहा है। कानून विदों का मानना है कि अदालत की निगाह में कानून सबके लिए एक है। इसके लिए कोतवाली प्रभारी अकबरपुर जनपद कानपुर देहात के खिलाफ भी वारंट जारी करना पड़ा। इंस्पेक्टर को गिरफ्तार कर 18 जुलाई को अदालत में हाजिर करने का मामला जनपद में चर्चा का विषय बना हुआ है।