सदर कोतवाली पुलिस ने 10 दिसंबर को गुमशुदगी दर्ज की थी। लेकिन मामले की एफआईआर दर्ज नहीं हुई। 13 दिसंबर को मां ने एसपी से मिलकर बेटी की बरामदगी की गुहार लगाई। इसके बाद भी पुलिस की आंखें नहीं खुली। 10 जनवरी को सदर कोतवाली में पूर्व राज्य मंत्री के पुत्र रजोल सिंह के खिलाफ एससी एसटी व अपहरण की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। लेकिन इसके बाद भी पुलिस की लापरवाही जारी रही। 24 जनवरी को पीड़िता की मां ने अखिलेश यादव की कार के आगे कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया था। जिसके बाद जिला प्रशासन की किरकिरी हुई। आनन-फानन में पुलिस ने 25 जनवरी को आरोपी रजोल सिंह को गिरफ्तार करते हुए 10 फरवरी को सपा नेता के दिव्यानद आश्रम के बगल प्लाट से किशोरी का शव जमीन के अंदर से बरामद किया। भारी विरोध के बाद पहले पोस्टमार्टम और फिर अंतिम संस्कार हुआ।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर उठ रहे थे सवाल
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद से ही उस पर सवालिया निशान लग रहा था। इसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे पीएल पुनिया ने मृतक परिजन से बातचीत की। सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर सवाल उठाया था और पीजीआई के डॉक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग की थी। जिसके बाद मृतक परिजन ने डीएम को पत्र देकर दोबारा पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग की। जिलाधिकारी रवींद कुमार ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ को पत्र लिखकर इस संबंध में जानकारी दी। एफएसएल टीम के द्वारा पोस्टमार्टम कराए जाने की जानकारी दी। पोस्टमार्टम विशेषज्ञ की मौजूदगी में कराया जा रहा है।