सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनी बंसल ने कहा कि दो बार पोस्टमार्टम हुए हैं और दोनों रिपोर्ट अलग-अलग हैं। जब यह मामला कोर्ट में जाएगा तो सवाल उठेगा कि एक बॉडी के दो पोस्टमार्टम रिपोर्ट कैसे? उन्होंने बताया कि पीजीआई के डॉक्टर द्वारा किए गए पोस्टमार्टम में गले में चोट का निशान बताया गया है। जबकि पहले वाले पोस्टमार्टम में ऐसा कुछ नहीं था। बोली इससे यह सिद्ध होता है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छेड़छाड़ की गई है। उन्होंने कहा कि जब तक एक्सपर्ट मेडिकल बोर्ड के द्वारा पीड़िता के बॉडी का परीक्षण नहीं होता है। तब तक बॉडी को डिस्पोज नहीं करने देंगे। इस मामले में चीफ जस्टिस आफ उत्तर प्रदेश व ज्यूडिशरी मजिस्ट्रेट को इस मामले में पत्र लिखकर एक्सपर्ट मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग करेंगे।
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पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर उठ रहे थे सवालउल्लेखनीय है कि बीते 8 दिसंबर को दलित युवती का अपहरण कर लिया गया था। जिसका शव पूर्व राज्य मंत्री व सपा नेता स्वर्गीय फतेह बहादुर सिंह के पुत्र रजोल सिंह के आश्रम के बगल में खाली प्लाट में मिला था। 10 फरवरी को जमीन के अंदर से दलित किशोरी का शव निकालकर 11 फरवरी को पोस्टमार्टम कराया गया था। भारी विरोध के बीच अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर लगातार सवाल उठ रहे थे। इस बीच राजनीतिक सरगर्मी भी रही। प्रियंका गांधी, पीएल पुनिया, निर्भया कांड की अधिवक्ता रही सीमा कुशवाहा, बसपा सुप्रीमो मायावती उक्त घटना में पीड़ित परिवार से बात कर चुकी है। अब सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अवनी बंसल पीड़िता परिवार को कानूनी सलाह दे रही हैं।