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उन्नाव लोकसभा पर एक नजर, मतदाताओं की बड़ी संख्या, समस्या भी विकराल

locationउन्नावPublished: Apr 21, 2019 04:51:03 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

लुंज पूंज योजना भी नहीं चढ़ सकी परवान, अभी भी पेयजल बड़ी समस्या, फ्लोराइड के कारण बच्चे विकलांग पैदा हो रहे थे जिसके बाद आई थी लुंज पूंज योजना
 

उन्नाव संसदीय सीट

उन्नाव लोकसभा पर एक नजर, मतदाताओं की बड़ी संख्या, समस्या भी विकराल

उन्नाव. लखनऊ – कानपुर के बीच स्थित उन्नाव संसदीय क्षेत्र देश की सबसे बड़ी 5 लोकसभा में शामिल है। परंतु लखनऊ कानपुर दोनों महानगर चक्की के दो पाट बन गए। जिनके बीच में उन्नाव लोकसभा का विकास थम गया। यहां तक की विकलांगता का प्रकोप भी काफी ज्यादा है। मकूर, भोनी खेड़ा, बड़ौरा जैसे दर्जनों गांव सबसे ज्यादा प्रभावित है। साहित्यकार व क्रांतिकारियों की भूमि आज भी योजनाबद्ध विकास कार्यों की बाट जोह रही हैै। जनपद की भौगोलिक स्थिति पर चर्चा की जाए तो यह लखनऊ, कानपुर के अलावा हरदोई, रायबरेली, फतेहपुर की सीमाएं जनपद से जुड़ी हैं। महान क्रांतिकारी राजा राव रामबख्श सिंह, प्रताप नारायण मिश्र, सूर्यकांंत त्रिपाठी निराला, भगवती चरण वर्मा, नंद दुलारे बाजपेई, उमाशंकर दीक्षित, चंद्रशेखर आजाद, रमई काका, शिवमंगल सिंह सुमन जैसी तमाम हस्तियां शामिल है जिन्होंने अपनी कलम व तलवार से जनपद का नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरोंं मे लिखा है।

जनपद की भौगोलिक स्थिति

जनपद की भौगोलिक स्थिति में नदियों का महत्वपूर्ण स्थान है। संसदीय क्षेत्र उन्नाव का पूर्व व उत्तरी भाग सई नदी तो पश्चिम व दक्षिण का भाग मां गंगा की धाराओं से घिरा है। जो उन्नाव की भौगोलिक क्षेत्रफल का पृष्ठांकन भी है। जनपद के पूर्वी क्षेत्र की सीमा रायबरेली से जुड़ा है तो पश्चिम भाग पर स्थित गंगा पार कानपुर अपनी चमक बिखेर रहा है। दक्षिण में रायबरेली और फतेहपुर जनपद की सीमा लगी है, तो उत्तर में हरदोई जिला स्थित है।
वनवास के दौरान मैया सीता ने जानकी कुंड परियर में किया था वास

धार्मिक दृष्टिकोण से जनपद का पौराणिक महत्व है जनपद के दक्षिण में गंगा के तट पर स्थित मां चंद्रिका देवी का मंदिर, परियर स्थित मां जानकी कुंड, लखनऊ कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित लव कुश द्वारा स्थापित कुशहरी देवी का मंदिर, रायबरेली की सीमा पर स्थित भवरेश्वर देवालय, शुक्लागंज में मां दुर्गा मंदिर, पड़री स्थित मां बालेश्वरी देवी मंदिर प्रमुख भक्ति व श्रद्धा के केंद्र है।
विधानसभा में मतदाताओं की संख्या इस प्रकार है

विधानसभा – मेल – फीमेल – थर्ड जेंडर – टोटल

बांगरमऊ – 184688 – 153204 – 27 – 337919

सफीपुर – 184248 – 146447 – 06 – 330701
मोहान – 179185 – 148082 – 14 – 327211

उन्नाव – 212987 – 174 975- 20 – 387982

भगवंतनगर- 216807-183582 -08 -400397

पुरवा – 215599-177248 – 22- 392869

कुल योग- 1193514 – 983468-97- 2177079
जातिगत आधार पर मतदाता संख्या

लोधी, कहार, निषाद, कश्यप, मल्लाह – 500000

अन्य पिछड़ा वर्ग – 500000

ब्राह्मण – 190000

क्षेत्रीय – 150000

अनुसूचित जाति जनजाति – 650000

मुस्लिम – 120000
अन्य सवर्ण – 50,000

लोकसभा चुनाव 2019 के प्रत्याशियों के नाम

भारतीय जनता पार्टी साक्षी महाराज

कांग्रेस अन्नू टंडन

समाजवादी पार्टी अरुण शंकर शुक्ला

प्रसपा सतीश कुमार शुक्ला

नागरिक एकता पार्टी उमर खान
भारत प्रभात पार्टी छेदीलाल

जनहित किसान पार्टी दीपक चौरसिया

आजाद भारत पार्टी शैलेश कुशवाहा

अखंड राष्ट्रवादी पार्टी सत्येंद्र गोयल

2009 के लोकसभा चुनाव के परिणाम पर एक नजर

कांग्रेस अन्नू टंडन 475476
सपा अरुण शंकर शुक्ला 173384

एक नजर 2014 के चार प्रमुख पार्टियों के रिजल्ट पर

साक्षी महाराज भाजपा – 518834

अरुण शंकर शुक्ला सपा – 208661

बृजेश पाठक बसपा – 200176

अन्नू टंडन कांग्रेस – 197098

जनपद की प्रमुख समस्या जनपद की प्रमुख समस्या पेयजल

पेयजल फ्लोराइड युक्त पानी जनपद की मुख्य समस्याओं में से एक है। ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लुंज पुंज योजना लांच की गई थी। परंतु आज अदूरदर्शिता के कारण योजना पूरी तरह फ्लॉप हो गई। अभी भी जनपद के दर्जनों गांव में ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने को विवश हैं। जहां के बच्चे लुंज पुंज पैदा हो रहे हैं और फ्लोराइड युक्त पानी पीकर लोगों की हड्डियां टेढ़ी हो रही है।

 

डॉक्टरों की कमी, लेकिन बिल्डिंग बन रही धड़ाधड़

डॉक्टरों की कमी वाले प्रदेश में अस्पताल की बिल्डिंग खड़ी करने का क्या औचित्य है। पुरवा भगवंत नगर विधानसभा क्षेत्र में 100 बेड का अस्पताल बन रहा है। लेकिन सीएचसी पीएचसी में डॉक्टरों की कमी का रोना है। जनपद मुख्यालय के जिला अस्पताल में 2015 में बनकर तैयार ट्रामा सेंटर डॉक्टरों की कमी के कारण नहीं शुरू हो पाई है।

 

जनपद के छात्र-छात्राओं को नहीं मिलती है गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

लखनऊ कानपुर के बीच होने के कारण छात्र-छात्राओं को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है। शिक्षक कहते हैं छात्र नहीं आते हैं, छात्रों का कहना है कि शिक्षक नहीं आते हैं। इन दोनों के बीच में छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। इसके अतिरिक्त भी कॉलेज में अन्य कई अनियमितताएं हैं। डीएसएन कॉलेज के छात्र संजय सिंह ने बताया कि कॉलेज परिसर अराजकता का गढ़ बन चुका है। उन्होंने कहा कि सरकार नकल विहीन परीक्षा में जितनी ताकत लगाती है। उसका आधा भी यदि शिक्षा सत्र के दौरान सिलेबस के अनुसार पढ़ाई पर लगा दे, तो छात्रों का भविष्य उज्जवल हो जाए। अधिकांश प्रोफेसर व लेक्चरर लखनऊ या कानपुर से आना जाना करते हैं।

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