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नहीं सुधर रहे सरकारी अस्पताल के डॉक्टर, मरीजों का बुरा हाल

locationउन्नावPublished: Oct 05, 2017 12:32:10 pm

Submitted by:

Ruchi Sharma

चर्चित डॉक्टर दंपति को मिला महिला व पुरुष विभाग की कमान
 

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उन्नाव.उमाशंकर दीक्षित संयुक्त चिकित्सालय अपनी बदहाल स्थिति के लिए आंसू बहा रहा है। जिला अस्पताल में न तो महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाइयां है और ना ही एंटी रेबीज वैक्सीन है। दवाइयों की सूची पर गौर किया जाए तो गिनी-चुनी आधा दर्जन दवाइयां ही जिला अस्पताल में उपलब्ध है। जिनसे जनपद के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों का उपचार किया जा रहा है।
कहने के लिए लोकल पर्चेज के आधार पर मरीजों को दवाइयां दी जा रही है, लेकिन यह लोकल पर्चेज किन के लिए किया जा रहा है यह कोई बताने को तैयार नहीं है। जिला अस्पताल की स्थिति यह है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपने कक्ष में नहीं बैठते हैं।
जिला अस्पताल से लगभग 2 किलोमीटर दूर वंशिका नर्सिंग होम

वर्तमान मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पुरुष व महिला विभाग का पद डॉक्टर दंपति को मिला है। जो जिला अस्पताल में कई दशकों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं और लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर इनका एक भव्य शिखा के नाम से नर्सिंग होम भी संचालित था। विवादों में आने के बाद फिलहाल या नर्सिंग होम को बंद कर दिया गया था। लेकिन नर्सिंग होम में कार्यरत एक कर्मचारी की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के कार्यालय में अंदर तक पैठ है और लोकल पर्चेजिंग में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दवाईयों के अभाव के संबंध में बातचीत करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में सीएमएस पुरुष विभाग से बातचीत हुई है शीघ्र ही दवाइयां उपलब्ध हो जाएंगे।
दवाइयां ना मिलने से मरीज निराश

जनपद मुख्यालय में स्थित जिला अस्पताल जनपद के अंदर चलने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से आने वाले मरीजों का केंद्र बिंदु है। इसके अतिरिक्त जनपद में होने वाले दुर्घटनाओं में घायल मरीजों को सबसे पहले जिला अस्पताल ही पहुंचाया जाता है। फिर चाहे वह आम इंसान हो या फिर धन्ना सेठ। इसके बावजूद जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आ रहा डॉक्टर की मनमानी के किस्से किसी से छुपे नहीं है।परंतु अब अस्पताल में दवाइयों का टोटा हो गया है। वर्तमान समय में दवाइयों में अल्ट्रा जोल, डिन्टाजोल, पैरासिटामा्टल, साल्बुटामोल, एमको डिफिन जैसी दवाइयां ही रह गई है। इधर जबसे दवाइयों का टोटा हुआ तो मरीजों के लिए कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। विगत कई माह से वायल एंटी रेबीज वैक्सीन जिला अस्पताल में नहीं है जो कि कुत्ता व बंदर के काटने पर मरीजों को लगाया जाता है। इसी प्रकार बच्चों को पेट में कीड़े की दवा भी अस्पताल में नहीं है।
दवाइयों की आपूर्ति करने वाले एजेंसी से हो रही बातचीत

इस संबंध में बातचीत करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेंद्र ने बताया कि इस संबंध में काफी शिकायतें आ रही हैं। इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर डीके द्विवेदी से बातचीत हुई है। उन्होंने कहा है कि दवा सप्लाई करने वाली एजेंसी से बातचीत करके जिला अस्पताल में दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा गया है। साथी उच्चधिकारियों को जिला अस्पताल कि पूरी जानकारी देने को कहा गया है।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर डीके द्विवेदी से संपर्क करने का प्रयास किया गया और जिला अस्पताल में दवाइयों की कमी के विषय में करने पर उन्होंने बताया कि स्टोर इंचार्ज इस विषय में पूरी जानकारी दे सकते हैं।
11:00 बजे दो डॉक्टर गायब मिले

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेंद्र कुमार ने बताया कि आज उन्होंने कटेहरू स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का 11:00 बजे निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान डॉक्टर दीपमाला और डॉक्टर संदीप मिश्रा अनुपस्थित मिले। इसके अलावा मौके पर वीरेंद्र कुमार व अन्य कर्मचारी मौजूद थे।
उन्होंने बताया कि दोनों डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जिला प्रशासन व अपर निदेशक स्वास्थ्य को लिखा गया है। उन्होंने बताया कि इसके पूर्व लगभग 3 सप्ताह पहले किए गए निरीक्षण में भी दोनों डॉक्टर गायब मिले थे। यह पूछने पर कि कहां से आते हैं उन्होंने बताया कि दोनों डॉक्टर लखनऊ से आते हैं। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएमओ को अपने क्षेत्र के स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण कर डॉक्टरों पर निगरानी रख जाना चाहिए। जिससे कि अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त हो सके।
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