उन्नाव

मानक से ज्यादा डॉक्टर, फिर भी मरीजों को नहीं मिल रही सुविधा

जो एक बार आ जाता है बार बार आने के लिए लालायित रहता है…

उन्नावDec 08, 2017 / 07:54 am

नितिन श्रीवास्तव

मानक से ज्यादा डॉक्टर, फिर भी मरीजों को नहीं मिल रही सुविधा

उन्नाव. एक तरफ जहां प्रदेश में चिकित्सकों की कमी का रोना रोया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल के पुरुष विभाग में 26 डॉक्टरों के सापेक्ष 33 डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त 6 डॉक्टर पुनर्नियुक्ति पर आकर डॉक्टरों की संख्या को 39 तक पहुंचा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक वरिष्ठ परामर्शदाता के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिससे यह संख्या 40 पहुंच चुकी है। मानक से अधिक डॉक्टरों के होने के बावजूद क्या जिला अस्पताल में मरीजों को शासन की मंशा के अनुरूप सुविधा मिल रही है? लखनऊ कानपुर के बीच होने के कारण चिकित्सा माफिया बन चुके डॉक्टर जुगाड़ लगा कर अपनी तैनाती उन्नाव में करा रहे हैं। पूर्व मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बातचीत के दौरान बताया कि हरदोई व रायबरेली जैसे जनपदों में चिकित्सकों का काफी टोटा है। विगत दिनों हरदोई में आए राष्ट्रपति के भ्रमण के दौरान जनपद से चिकित्सकों का दल हरदोई गया था।
 

डॉक्टरों की पसंदीदा जगह है उन्नाव

चिकित्सकों के लिए जनपद यूं ही पसंदीदा नहीं है। यहां आने के लिए चिकित्सक लालायित रहते हैं और जो एक बार आ जाता है फिर उसका जाने का मन नहीं करता है। मजबूरी में जाने वाले डॉक्टर भी घूम फिर कर जनपद में आने का जुगाड़ लगाया करते हैं। इसके तमाम उदाहरण जिला अस्पताल में मौजूद हैं। जो अपने आप में जांच का विषय है। डॉक्टरों की कमी के नाम पर शासन व प्रशासन इन डॉक्टरों की मनमानी को अनदेखा कर रही है। इस संबंध में बातचीत करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि जिला अस्पताल की पूरी जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पास होती है।
 

चार सर्जन के साथ कुल 33 डॉक्टरों के उपस्थित पंजिका में हैं नाम

डा. जे.पी. बाजपेयी वरिष्ठ परामर्श दाता फिजिशियन, डा. आलोक पाण्डेय वरिष्ठ परामर्शदाता फिजिशियन, डा. शरद पाण्डेय ह्रदय रोग, डा. शोभित अग्निहोत्री क्षय रोग, डा. सत्यनरायण गुप्ता, सर्जन, डा. ज्ञान प्रकाश सचान सर्जन, डा. संजय वर्मा सर्जन, डा. स्वाती पाठक सर्जन, डा. पवन कुमार हड्डी रोग, डा. मनोज कुमार हड्डी रोग, डा. विकास सचान हड्डी रोग, डा. डीपी सरोज हड्डी रोग, डा. आर.के. रमन बाल रोग, डा. बृज कुमार बालरोग, डॉक्टर राजकमल चौरसिया बालरोग, डा. अहमद अली दन्त सर्जन, डॉक्टर धीर सिंह निश्चेतना, डा. तेजवीर सिंह निश्चेतना, डा. श्रीकृष्ण जौहरी रेडियोलोजी, डा. के के सचान पेैथोलाॅजी, आनन्द स्वरुप पैथोलाॅजी, फैसल जुबेर नेत्र सर्जन, डा. अजय प्रताप सिंह नाक कान गला, डा. मो. अहमद नाक कान गला, डा. तृप्ति सेंगर सर्जन के रूप में जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं इनमें कई डॉक्टर ऐसे हैं जो विगत 10 वर्षों से अधिक समय से जिला अस्पताल में कार्यरत है।
 

इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के नाम पर अस्पताल में 7 डॉक्टर मौजूद

आकस्मिक कक्ष की ड्यूटी को संभालने के लिए डा. प्रशान्त उपाध्याय, डा. अमित श्रीवास्तव, डा. आशीष सक्सेना, डा. राकेश यादव, डा. दिनेश यादव, डा. गौरव अग्रवाल, डा. तौसीफ हुसैन रिजवी है जिन्होंने भी अपनी सुविधा के अनुसार समय सारणी बनाकर ड्यूटी करने की खानापूरी कर रहे हैं। उपस्थित पंजिका में उपरोक्त डॉक्टरों के अतिरिक्त डा. अशोक कुमार वर्मा चिकित्सा अधीक्षक का भी नाम शामिल है।
 

पुनर्नियुक्ति में आए डॉक्टर की विशेषज्ञता को उपस्थिति पंजिका में नहीं किया गया है प्रदर्शित

इसके अतिरिक्त शासन ने जिला अस्पताल में मरीजों के हित को देखते हुए रिटायर्ड हो चुके डाक्टरों को भी पुनर्नियुक्ति पर रखा है पुनर्नियुक्ति पर आने वाले डॉक्टरों में डा. एसके सिंह, डा. रामसुख, डा. प्रदीप श्रीवास्तव, डा. एसपी सिंह, डा. आरके मिश्रा, डा. आर सी द्विवेदी शामिल है। उपस्थित पंजिका में ना तो इन डॉक्टरों की विशेषज्ञता को प्रदर्शित किया गया है और ना ही यह डॉक्टर जिला अस्पताल के किस कक्षा में मौजूद है। इसकी जानकारी नहीं दी गई है। इन डॉक्टरों में एकमात्र डॉक्टर आरसी द्विवेदी का नाम वाला सूचना-पट्ट जिला अस्पताल में दिखाई पड़ता है। ऐसे में जिला अस्पताल को भूल भुलैया कहा जाए तो कुछ कम नहीं होगा।
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