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कानपुर और लखनऊ के डाक्टरों के लिये चारागाह बना उन्नाव, जिलाधिकारी की सक्रियता हो रही मददगार

locationउन्नावPublished: Dec 13, 2017 01:53:11 pm

जिलाधिकारी के अथक प्रयासों से भी लापरवाही और कामचोरी के आदि बन चुके जनपद के डाक्टर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।

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उन्नाव. जिलाधिकारी के अथक प्रयासों से भी लापरवाही और कामचोरी के आदि बन चुके जनपद के डाक्टर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक के बाद एक कारनामों से डाक्टर जिला प्रशासन को बदनाम करने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। वह भी तब हो रहा हैं जब जिलाधिकारी के साथ उनकी डाक्टर पत्नी भी जिला अस्पताल में सुधार लाने के तमाम प्रयास कर रहे हैं। जनपदवासियों में जिलाधिकारी के कार्यों का सकारात्मक संदेश जा रहा है परंतु जनपद के डाक्टर उस पर मठ्ठा डालने का कार्य कर रहे हैं। इस विषय में सांसद साक्षी महाराज भी कड़ी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। परंतु डाक्टरों के रवैया में सुधार नहीं हो रहा है। इस संबंध में बातचीत के दौरान मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि प्रेगनेंसी के दौरान होने वाली मौत जांच नोडल अधिकारी करते हैं। जिसके लिये दो डाक्टरों की टीम को भेजा गया। जो मौत के कारणों की जांच का पता लगा कर अपनी रिपोर्ट देगें। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी।

 

लापरवाही की हद जानलेवा बनी

ताजा प्रकरण बीघापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का सामने आया है। विगत सोमवार की रात को अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़प रही बारा सगवर थाना क्षेत्र के घानी खेड़ा निवासी ममता 22 पुत्री तेज बहादुर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां उसने बिटिया को जन्म दिया। इस संबंध में बड़े लाल ने बताया कि जन्म के चार पांच घंटे तक सब सही रहा। परंतु उसे बाद रक्तस्राव शुरू हो गया। जिसकी जानकारी उन्होने डाक्टरों को दी। परंतु डाक्टरों ने कोई ध्यान नहीं दिया। इसी बीच उसकी ममता की तबियत और बिगड़ती गयी। रात को उसे उल्टियां भी हुयी। इसके बाद भी स्वास्थ्य कर्मी ने उन्हे इस बात की जानकारी नहीं दी। बड़े लाल ने बताया कि ममता की हालत ज्यादा बिगड़ने पर डाक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बता कर कानपुर रेफर कर दिया। लेकिन उसे जब एम्बूलेंस में शिफ्ट किया जा रहा था। उसी समय उसकी मौत हो गयी। ममता की मौत से परिवारी जनों में हड़कंप मच गया। उन्होने डाक्टरों व सिस्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुये हंगामा शुरू कर दिया।

 

महिला विभाग की सीएमएस ने भी नहीं निभायी अपनी जिम्मेदारी

जिसकी जानकारी स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टरों ने मुख्य चिकित्साधिक्षक महिला विभाग को फोन करके शव ले जाने के लिये वाहन की व्यवस्था की मांग की। परंतु सीएमएस महिला ने स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर की सुनकर अनुसुना कर दिया। बताया जाता है कि उसके बाद सीएमएस का मोबाइल स्विच ऑफ हो गया। काफी देर बाद और जिलाधिकारी के हस्ताक्षेप से बड़ेलाल को शव ले जाने के लिये वाहन मिल सका। स्वास्थ्य केंद्र की जानलेवा लापरवाही से लोगों में रोष व्याप्त है। उनका कहना था कि जच्चा की हालत गंभीर होने पर उसका उपचार क्यों नहीं किया गया। यदि मामला गंभीर था तो दोपहर में ही क्यों नहीं जिला अस्पताल रेफर किया गया।

 

जिलाधिकारी के हस्ताक्षेप के बाद मिल रही सुविधा

विगत दिनों जिला अस्पताल के महिलर विभाग से आशा बहू द्वारा लायी गयी एक गर्भवती महिला को गंभीर बताकर कानपुर रेफर कर दिया गया था। जिसे आशा बहू द्वारा एक प्राइवेट नर्सिग होम में लेकर जाकर भर्ती कराया गया। इस पर परिवारी जनों ने हंगामा कर दिया। मामला जिलाधिकारी तक पहुंचा। जिलाधिकारी के हस्ताक्षेप के बाद प्रसव पीड़िता को दुबारा जिला अंस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके साथ ही जिलाधिकारी ने जांच उपमुख्य चिकिस्साधिकारी को जांच दी थी। परंतु जांच में भी खानापूरी चल रही है। गौरतलब है कि जिला अस्पताल के पुरूष विभाग के साथ महिला विभाग में भी दलालों का कब्जा है। जहां मरीज को गंभीर बताकर रेफर कर दिया जाता है। उसके बाद उसे प्राइवेट नर्सिग होम में भर्ती करा कर कमीशन का खेल शुरू होता है। जिससे शासन की मंशा के अनुरूप मरीजों को सुविधा नहीं मिल पाती है।

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