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जिला अस्पताल का इमरजेंसी कक्ष बना रेफर सेंटर, मरीजों को नहीं मिलती ऑन कॉल सुविधा

locationउन्नावPublished: Dec 07, 2017 09:46:06 am

उमा शंकर दीक्षित संयुक्त चिकित्सालय का अत्याधुनिक स्वरूप मरीजों को अच्छी सुविधा देने से वंचित है।

Doctors on call facility stopped in District Hospital Unno UP Hindi Ne

जिला अस्पताल का इमरजेंसी कक्ष बना रेफर सेंटर, मरीजों को नहीं मिलती ऑन कॉल सुविधा

उन्नाव. उमा शंकर दीक्षित संयुक्त चिकित्सालय का अत्याधुनिक स्वरूप मरीजों को अच्छी सुविधा देने से वंचित है। यह कक्ष रेफर सेंटर बन गया है। जबकि आकस्मिक सेवा के लिये सात डाक्टरों के नाम रजिस्टर में अंकित है। इसे साथ ही जिला अस्पताल में मानक से अधिक डाक्टर मौजूद है। जिसमें विशेषज्ञ डाक्टर भी है। इसके बाद भी इन डाक्टरों का लाभ गंभीर मरीजों को नहीं मिलता है। इमरजेंसी में मरीजों को फर्स्ट एड के बाद सीधे कानपुर या लखनऊ रेफर कर दिया जाता है। जबकि जनपद में जिला अस्पताल में डाक्टरों की पूरी फौज इक्ट्ठा है। इसके बाद भी गंभीर मरीजों को उन विशेषज्ञ डाक्टरों से उपचार कराने का मौका नहीं मिलता है। अस्पताल के सूत्र बताते है कि जिला अस्पताल में तैनात डाक्टरों में अधिकांश कागजी खाना पूरी के लिये स्थानीय विभागीय कर्मचारियों के घरों के पता दियें। जबकि हकीकत है कि यह सभी लखनऊ या कानपुर अपने मूल निवास से आते है और फर्जी तरीके से शासन से घर का किराया ले रहे है। जो जांच का विषय है।
खानापूरी के लिये डॉक्टरों ने दिया फर्जी पता

जिला अस्पताल में नवनिर्मित आकस्मिक कक्ष में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को देखने के लिये सात इमरजेंसी मेडिकल आफीसर की तैनाती की गयी है। इमरजेंसी मेडिकल ऑफीसर अपने नाम के हिसाब से गंभीर मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के का काम करते है। इस बीच हार्ट पेशेंट, दुर्घटनाओं में घायल होने वाले मरीज, हेड इनज्यूरी जैसे मामले में विशेषज्ञ डाक्टर की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में इमरजेंसी मेडिकल डाक्टर बीएचटी बेड हेड टिकट में गंभीर मरीज की जानकारी भर कर विशेषज्ञ डाक्टर को ऑन काल बुलाते है। ऑन काल आने वाले विशेषज्ञ डाक्टर मरीजों को देख उसका उपचार करते है। परंतु जनपद के जिला अस्पताल में इस प्रकार की कोई सुविधा गंभीर मरीजों को नहीं मिलती है। आन कॉल न आने पर इमरजेंसी मेडिकल ऑफीसर गंभीर मरीजों को कानपुर या लखनऊ रेफर कर देते है। जिससे समय जाया होता है और रास्ते में गंभीर मरीज हमेशा के लिये अपनी आंखे बंद कर लेता है। इस सम्बंध में बातचीत करने पर ईएमओ ने बताया कि रात में दिक्कत होती है। यहां पर ऑन कॉल डाक्टर रात में बहुत मुश्किल में आ पाते है।
आकस्मिक कक्ष में सात डाक्टरों की नियुक्ति

जिला अस्पताल के आकस्मिक कक्ष में सात डाक्टर नियुक्त है। जिसमें डा. प्रशांत उपाध्याय, डा. अमित श्रीवास्तव, डा. अशीष सक्सेना, डा. राकेश यादव, डा. दिनेश यादव, डा. गौरव अग्रवाल, डा. तौफिक हुसैन शामिल है। यहां पर भी बड़े बड़े खेल होते है। एक तरफ ओपीडी में छह घंटे की नौकरी करने में डाक्टरों के पसीना निकल आता है और आकस्मिक कक्ष में डाक्टरों ने सेंटिंग-गेंटिग का खेल करके 24 – 24 घंटे की ड्यूटी करते है। समझा जा सकता है कि किस प्रकार ड्यूटी डाक्टर करते होगें। इस सम्बंध में बातचीत करने पर मुख्य चिकित्साधिक्षक से बातचीत करने का प्रयास किया गया। परंतु उनका फोन नोट रिचेबल बताता रहा। वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी ने बातचीत के दौरान बताया कि जिला अस्पताल की पूरी जिम्मेदारी सीएमएस के पास होती है। उन्हे यह देखना पड़ता है कि रोस्टर के अनुसार इमरजेंसी में ड्यूटी लगे। यदि ऐसा नहीं है तो गलत है। सीएमएस से बात करूंगा।
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