उपसम्भागीय परिवहन कार्यालय में एक रोचक प्रश्न आया। एक युवती ने उपसम्भागीय परिवहन कार्यालय में एआरटीओ से प्रश्न कर दिया कि जिन यातायात संकेतों के साथ उनकी ड्राइविंग लाईसेंस की परीक्षा होती है, वो संकेत उन्नाव की सड़कों पर दिखायी ही नहीं पड़ते हैं। इस प्रकार के संकेतों को उन्होंने कभी सड़क पर नहीं देखा। फिर कैसे उन संकेतों के विषय में वे सवाल कर सकते हैं।
उपसम्भागीय परिवहन अधिकारी ने पूछा उलटा सवाल- किशोरी द्वारा किये गये प्रश्न पर उपसम्भागीय परिवहन अधिकारी ने पूछा कि ऐसा कौन सा संकेत है जो आपको मार्ग पर नहीं दिखायी पड़ता है। इस पर उसने तपाक से कहा स्कूल वाला संकेत। इस पर एआरटीओ ने कहा कि वह अभी नये-नये आये हैं। इसका प्रयास किया जाएगा कि यातायात के संकेत मार्गों पर दिखाये पड़े। जिससे उसके प्रति लोग जागरूक हो सके।
एआरटीओं ने कहा स्कूलों की मदद ली जायेगी- लाइसेंस बनवाने वालों को परीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। जिसमें कई प्रकार के टेस्ट होते हैं। इसमें संकेतों के विषय में भी उत्तर मांगे जाते हैं। यह प्रक्रिया लर्निंग लाइसेंस वालों के साथ होती है। इस प्रक्रिया से गुजरने के बाद वापस एआरटीओ के ऑफिस में पहुंची किशोरी ने एआरटीओ एके पाण्डेय से सवाल कर दिया कि जिन संकेतों के साथ उनकी परीक्षा ली गयी इस प्रकार के कोई संकेत जनपद के मार्गों में नहीं दिखायी पड़ते हैं। सवाल सामने आते ही एआरटीओ सोच में पड़ गये और किशोरी से पूछा कि कौन सा संकेत मार्ग पर नहीं दिखायी पड़ता है।
किशोरी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण संकेत तो स्कूल का होता है। वह भी स्कूल के आसपास नहीं दिखायी पड़ता है। इस पर एआरटीओ ने कहा स्कूलों के आसपास इस प्रकार के संकेत होने चाहिये। यदि नहीं है तो गलत है। संकेतों को स्कूल के आसपास लगाने के निर्देश दिये जाएंगे। इसके अलावा इस बात का प्रयास किया जायेगा कि स्कूलों में भी यातायात संकेतों के प्रति छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जाये। जिससे यातायात संकेतों की उपयोगिता राहगीरों के समझ में आये। उन्होंने कहा कि आगामी जनवरी माह में यातायात जागरूकता के संबंध में चलाए जाने वाले अभियान में यातायात संकेतों पर विशेष जोर दिया जाएगा। जिसमें स्कूलों की सहभागिता भी बढ़ाई जाएगी।