इसी प्रकार का एक हादस उस समय हुआ जब शट डाउन लेकर ट्रांसफारमर में कार्य कर रहे लाइन मैन उस समय गंभीर रूप से झुलस गया। जब अचानक सप्लाई शुरू कर दी गई। सप्लाई शुरू होते ही ट्रांसफारमर में कार्य कर रहा लाइन मैन तेज आवाज के साथ दूर नीचे जा गिरा। जिसे साथियों ने आनन फानन जिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डाक्टरों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुये कानपुर रेफर कर दिया। जहां उसकी हालत चिन्ताजनक बनी हुयी है।
हैलेट में चल रहा उपचार
सदर कोतवाली क्षेत्र के राजेपुर निवासी नंदू 48 पुत्र दुलीचंद्र सिटी पावर के अन्तर्गत आने वाला मोहल्ला ए बी नगर में गेस्ट हाउस के निकट कार्य कर रहा था। जहां ट्रांसफारमर के लाइन में कमी आ गयी थी। सहकर्मियों ने बताया कि शट डाउन लेकर लाइन को ठीक करने कार्य हो रहा था। इसी बीच अचानक सप्लाई शुरू हो गयी और नन्दू बिजली के चपेट में आ गया। बिजली का झटका लगते ही नन्दू खंभे से नीचे आ गिरा। जिससे वह झुलस गया और उसके हाथ पैर में चोट भी आयी। लाइनमैन के गिरते ही मौके पर अफरतफरी मच गयी। आनन फानन गंभीर रूप से घायल नंदू को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुये कानपुर रेफर कर दिया गया।
बेरोजगारी की मार, दो-तीन हजार देकर ठेकेदार करते है शोषण
बिजली विभाग में कार्यरत तमाम लाइन मैन कार्य तो विभाग करते है। परंतु किस रूप में कर रहे है यह वह कर्मी भी नहीं जानता है। नाम न छापने की शर्त में लाइन मैन ने वह विभाग में किस रूप में कार्य कर रहे है। यह उन्हे भी नहीं पता है। नन्दू जो दस वर्षो से भी अधिक समय से कार्य कर रहा है। एक बाद इसके पूर्व भी नन्दू के साथ घटना घट चुकी थी। जिसके बाद विभाग से कोई मदद नहीं मिली। मरता क्या न करता वाली कहावत दुबारा फिर वह कार्य कर अपना और बच्चों का पेट पालने लगा।
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सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि लाइन में कार्य करने वाले कर्मियां को सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं दिये जाते है। न तो लाइन मैन के पास गलब्स है और न ही उच्च स्तर के प्लास जिनसे वह सुरक्षित कार्य कर सके। सबसे बड़ी बात उनके पास अर्थिंग केबुल नहीं होता है। जिससे यदि कहीं से वापसी का करेंट आता है तो वह बच सके। जो विभाग के पास बचने का सबसे आसान रास्ता होता है। विभाग यह कह कर पल्ला झाड़ लेता है कि जनेरेटर, इन्वर्टर या फिर दूसरी जगह से लाइन वापसी आ गयी।