इसी बीच बीमारी के कारण नीरज की विगत दो मार्च को मृत्यु हो गई। जिसकी जानकारी नीरज के साथ रहने वालों ने परिवारीजनों को दी। नीरज की मृत्यु की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया। परिवार वाले नीरज की डेड बॉडी के लिए उपजिला अधिकारी से संपर्क किया और नीरज के पार्थिव शरीर को सऊदी अरब से लगाने की मांग की। परंतु संवेदनहीन नौकरशाह के ऊपर नीरज के पिता गोकरन की मांग का कोई असर नहीं हुआ।
इसके बाद परिवारीजन जनपद के सबसे बड़े अधिकारी जिलाधिकारी से मुलाकात की और उनसे अपनी फरियाद लगाई। नीरज की बहन रिंकी ने बताया कि जिलाधिकारी ने 2 दिन का समय लिया था। लेकिन आज 22 दिन बीत गए। कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने बताया कि उन लोगों ने मुख्यमंत्री, विदेश मंत्री, प्रधानमंत्री सभी को फैक्स के माध्यम से जानकारी दी। यहां तक कि साक्षी महाराज को भी घटना की जानकारी दी। साक्षी महाराज ने अपने लेटर पैड पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा। लेकिन उनके भाई का शव आज तक नहीं आ पाया है। वहीं मां बाप भी अपने बेटे के अंतिम दर्शन के लिए दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं।
साक्षी महाराज ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की
क्षेत्रीय सांसद साक्षी महाराज ने पीड़ित गोकरन के पत्र पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को घटना की पूरी जानकारी दी और मांग किया की अबू सऊद गहतानी के खिलाफ विधिक कार्रवाई करते हुए पीड़ित परिवार को क्षतिपूर्ति दिलाया जाए और नीरज के शव को भारत लाया जाए। क्षेत्रीय सांसद ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि पीड़ित परिवार बहुत परेशान है। नीरज का शव परिवारी जनों को सौंपा जाए। जिससे कि वह लोग नीरज के अंतिम दर्शन कर सके और उसका अंतिम संस्कार हो पाए। साक्षी महाराज ने भारत सरकार को यह पत्र 14 मार्च को लिखा था। लेकिन क्षेत्रीय सांसद का पत्र भी विदेश मंत्रालय के ब्यूरोक्रेट को जगा नहीं पाया। उसके कानों में जूं नहीं रेंगी