किसानों का आंदोलन ट्रांस गंगा सिटी के लिए खतरे की घंटी सपा शासन के दौरान
अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था। ड्रीम प्रोजेक्ट ट्रांस गंगा सिटी तक जाने के लिए शहर में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई और दुष्कर हो चुके आवागमन को अवरोध मुक्त किया गया। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को धाराशाही कर दिया गया। उन्नाव से ट्रांस गंगा सिटी के चौराहे तक फोरलेन से जोड़ दिया गया। यातायात के दृष्टिकोण से उन्नाव से कानपुर का आवागमन सुगम और आरामदायक हो गया। परंतु ट्रांस गंगा सिटी के ऊपर खतरे की घंटी मंडराने लगी। ट्रांस गंगा सिटी के लिए यूपीएसआईडीसी द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन के खिलाफ किसान आंदोलित हो गए। उनके द्वारा लंबी लड़ाई की प्रक्रिया अपनाई गई। किसान विगत कई माह से आन्दोलन चला रहे हैं। इस बीच उन्होंने यूपीएसआईडीसी के अधिकारी व जिला प्रशासन का क्रिया कर्म भी कर चुके हैं। गुलाबी गैंग के सहयोग से किसानों के आंदोलन को धार मिली और बड़ी संख्या में महिला व पुरुष किसानों ने जिलाधिकारी का घेराव किया। परंतु जिला अधिकारी ने उनकी मांगों को तवज्जो नहीं दिया। इस दौरान किसानों ने दो बार जिलाधिकारी की चौखट पर आकर बातचीत करने का प्रयास किया। परंतु दोनों बार ही उन्हें निराशा हाथ लगी।
प्रशासन दर्शन नहीं दे सकता है, न्याय नहीं दे सकता है, तो मौत दे दे वही किसानो ने निर्णय लिया था कि विगत 30 सितंबर से 13 किसान अर्धनग्न होकर आत्मसमर्पण की मुद्रा में राष्ट्रीय ध्वज हाथ में लिए आमरण अनशन करेंगे। खुले पत्र में जिला प्रशासन से कहा कि मौत आने तक किसान लगातार धरना प्रदर्शन करेंगे। यदि प्रशासन दर्शन नहीं दे सकता है, न्याय नहीं दे सकता है, तो मौत दे दे। नहीं तो किसान आगामी 2 अक्टूबर को अपनी जमीन को आजाद कराने के लिए स्वतंत्र हैं। इस मौके पर डॉ विजय नारायण, संपत देवी पाल, हीरेन्द्र निगम, सनोज यादव, डॉ उमेश शुक्ला सहित हजारों की संख्या में किसान मौजूद थे। इस संबंध में प्रशासन के रूख के विषय में जानकारी करने पर उप जिलाधिकारी सदर ने बताया कि इंटेलिजेंस से जानकारी प्राप्त की जा रही है। संवेदनशील मामला है। इस से ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं। लेकिन प्रशासन पूरी तरह तैयार है।