उन्होंने अपनी टीम का गठन भी कर लिया। दूसरे दिन नगर मजिस्ट्रेट को मौके पर आना था। परंतु नगर मजिस्ट्रेट नहीं आए। उनके ना आने से ट्रांस गंगा सिटी के पीड़ित किसानों के प्रति प्रशासनिक उदासीनता सामने आती है। नगर मजिस्ट्रेट के ना आने ने आक्रोशित किसान नेताओं के लिए आग में घी डालने का काम किया। जिसका परिणाम आज सामने आ रहा है और यूपीएसआईडीसी के एमडी के खिलाफ विभिन्न क्रियाकलाप किए जा रहे हैं। जबकि किसानों का क्रमिक अनशन लगातार जारी है।
पूर्वनियोजित बैठक में नहीं पहुंचे नगर मजिस्ट्रेट किसान नेता हीरेंद्र निगम ने बताया कि विगत 18 सितंबर को नगर मजिस्ट्रेट ने किसानों से बातचीत की थी और कहा था कि 10 – 12 किसानों की एक टीम बना कर सूची हमें दे दें। जिससे शासन-प्रशासन से बात करने में आसानी रहेगी। नगर मजिस्ट्रेट की मांग पर सहमति जताते हुए किसान नेताओं ने 13 सदस्यों की टीम बनाई। जिसमें 6 नाम खोले गए थे, बाकी 7 नामों को गुप्त रखा गया था। किसान नेताओं का मानना था कि प्रशासन का यह कदम सकारात्मक है और प्रशासनिक स्तर पर बातचीत करने पर भी आसानी होगी। प्रशासन की मांग को देखते हुए किसान नेताओं ने आपस में बातचीत करके टीम का गठन किया। परंतु प्रशासनिक उदासीनता एक बार फिर सामने आई और पूर्वनियोजित कार्यक्रम के अनुसार नगर मेजिस्ट्रेट 19 सितंबर को किसान नेताओं के बीच नहीं पहुंचे। जिससे बनाई गई 13 सदस्य टीम की योजना धरी की धरी रह गई।
काफी देर तक किसानों ने सिटी मजिस्ट्रेट का इंतजार किया। जब कोई जवाब नहीं मिला, तो किसानों में निराशा छा गई और प्रशासन के प्रति नाराजगी और बढ़ गई। निराश और आक्रोशित किसानों ने जिला अधिकारी का दसवां व तेरही संस्कार करने के बाद यूपीएसआईडीसी के MD का दसवां और तेरहवीं संस्कार करने का निर्णय किया। किसान आंदोलन के संचालक हीरेंद्र निगम ने बताया कि प्रशासन की उदासीनता के कारण किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। इस मौके पर सुशील त्रिवेदी, सनोज यादव, पप्पू लोधी, किशोरी लोध, पृथ्वीपाल सहित हजारों की संख्या में किसान मौजूद थे।