हिलौली विकासखंड के गांव बरेंदा में स्थित भीमेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्तगण आते हैं। भीमेश्वर या भंवरेश्वर मंदिर के सामने पिछले कई दशकों से पूजा सामग्री की दुकान चलाने वाले रमेश गोस्वामी ने बताया कि यहां पर 12 महीने भक्तों की भीड़ उमड़ती है। सावन और शिवरात्रि के अवसर पर तिल रखने की जगह नहीं होती है। मंदिर परिसर के तरफ सई नदी बहती है। जबकि विशाल प्रांगण में भोले बाबा विराजमान है। भंवरेश्वर महादेव के आसपास का क्षेत्र भी आनंदमय है। इस संबंध में बातचीत करने पर रामबाबू अवस्थी ने बताया कि यहां पर लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव से बड़ी संख्या में भक्तगण जलाभिषेक के लिए आते हैं। लखनऊ से मंत्रियों का भी आना जाना लगा रहता है
भावेश्वर महादेव का शिवालय सड़क मार्ग से जुड़ा है। लखनऊ - कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भल्ला फार्म से कांथा, असोहा, कालूखेड़ा होते हुए भंवरेश्वर के दर्शन के लिए जाया जा सकता है। उन्नाव से भंवरेश्वर महादेव की दूरी लगभग 62 किलोमीटर है। लखनऊ से आने वाले भक्त मोहनलालगंज, कालूखेड़ा होते हुए भंवरेश्वर आ सकते हैं। यह दूरी मात्र 42 किलोमीटर है। शिवालय रायबरेली जनपद से भी जुड़ा है। गंगागंज, हरचंदपुर, बछरावां होते हुए बाबा के दरबार में पहुंचा जा सकता है।
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गदाधारी भीम द्वारा स्थापित है शिवलिंगभीमेश्वर महादेव का शिवलिंग महाभारत कालीन है। जिन्हें गदाधारी भीम ने मां कुंती के पूजा अर्चना के लिए स्थापित किया था। रमेश गोस्वामी ने बताया कि द्वापर युग के दौरान पांडव अज्ञातवास में थे। अज्ञातवास के दौरान उनका यहां आना हुआ। सई नदी के किनारे रमणीक स्थल पर पांडवों ने अज्ञातवास बिताया। इस दौरान मां कुंती की पूजा अर्चना के लिए उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की। जिन्होंने रोजाना शिव जी की पूजा की प्रतिज्ञा ली थी।