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जिलाधिकारी की इस योजना पर अमल किया गया तो गांव का कायाकल्प हो जाएगा

locationउन्नावPublished: Jul 03, 2020 08:05:51 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

– गो-आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाये जाने पर जिलाधिकारी ने दिये दिशा निर्देश
– हरदोई जिले का जिक्र हुआ यहां की बैठक में

जिलाधिकारी की इस योजना पर अमल किया गया तो गांव का कायाकल्प हो जाएगा

जिलाधिकारी की इस योजना पर अमल किया गया तो गांव का कायाकल्प हो जाएगा

उन्नाव. वृहद गौ संरक्षण केंद्र और अस्थाई गोवंश आश्रय स्थलों पर बंधा, मेढ़ पर बायो फेंसिंग के लिए करौंदा, मेंहदी, खेखसा, बोगेनबेलिया, कनेर, जेट्रोफा आदि पौधे लगाए जाये। बृहद गौ संरक्षण केंद्र एवं अस्थाई गोश्त आश्रय स्थल पर उपलब्ध भूमि के अनुसार छायादार वृक्ष जैसे पाकड़, खिरनी, पीपल, बरगद, मौलश्री, जामुन आदि के वृक्षों को आवश्यकतानुसार लगाये जाये। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने विकास भवन में आयोजित निराश्रित गोवंश संरक्षित करने व गो आश्रय स्थल को स्वावलंबी बनानेेे के केे उद्देश्य से आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए उक्त्त निर्देश दिए। उन्होंने मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए कि हरदोई जनपद की भांति आपके जनपद के जिन गोवंश आश्रय स्थलों पर पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। वहां पर नैपियर ग्रास लगाये। इसकी जड़ मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, हरदोई से सम्पर्क कर प्राप्त की जा सकती है एवं अन्य प्रजाति की घास भी मनरेगा से लगाई जाये। जिससे गोवंश आश्रय स्थलों पर संरक्षित पशुओं को वर्ष भर हरे चारे की उपलब्धता बनी रहे।

गो आश्रय स्थल को स्वावलंबी बनाने के उपाय

उन्होंने बताया कि वृहद गो संरक्षण केन्द्र एवं अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल पर जीवामृत तैयार कराकर सम्बन्धित क्षेत्र के कम से कम 100 कृषकों को कृषि विभाग से चिन्हित कराकर विक्रय किया जाय। गोबर के लटठे, गमले एवं मास्कीटो क्वायल, अगरबत्ती को भी तैयार कराया जाये। देशी प्रजाति की अच्छी नस्लों के गोवंश आश्रय स्थलों पर वर्गीकृत वीर्य स्ट्राज प्रयोग करके उन्नतशील नस्ल, अधिक उत्पादकता वाली साहीवाल, गिर एवं हरियानान नस्ल की बछिया उत्पन्न किया जाये। अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों को स्वालम्बी बनाये जाने हेतु स्थलों पर घन जीवामृत, नेडप या वर्मी कम्पोस्ट से तैयार की जाने वाली जैविक खाद को उद्यान, वन, कृषि विभाग, पंचायतों, कार्यदायी सस्थाओं आदि को विक्रय किया जाये।

स्वयं सहायता समूह को जोड़ा जाए

गोवंश आश्रय स्थलोें को स्वावलम्बी बनाये जाने हेतु संचालित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों को महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ भी जोडा जाए। जिससे उत्पादों को तैयार कर उनका विपणन करके अधिकाधिक रोजगार भी सृजित किया जाय।बैठक में मुख्य विकास अधिकारी डा. राजेश कुमार प्रजापति, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. प्रमोद कुमार सिंह, खंड विकास अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार पाण्डेय, जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी राज दीप वर्मा, उप निदेशक सूचना डा. मधु ताम्बे सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद थे।

 

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