डॉ लालता प्रसाद बताया कि तीन चौथाई शिशुओं की मृत्यु जन्म के पहले माह में हो जाती है। इस मृत्यु दर को कम करने के लिए जन सामान्य को नवजात शिशु स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने के लिए सेमिनार व बेबी शो का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें धात्री माताओं को गोष्ठी, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण बैठक टीकाकरण सत्रों में जानकारी दी जा रही है।
6 माह तक ऊपर का आहार नहीं देना चाहिए
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ रावत ने बताया कि सामान्य या सिजेरियन प्रसव के 1 घंटे के अंदर नवजात को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध पिलाना आवश्यक है। शिशु को 6 माह तक सिर्फ मां का दूध पिलाना चाहिए। शिशु को कोई ऊपर से आहार नहीं देना चाहिए। जन्म के तुरंत बाद विटामिन ‘के’ की एक खुराक के साथ बीसीजी ओपीबी, जीरो डोज तथा हेपिटाइटिस के टीके लगते हैं। मां शिशु को त्वचा से त्वचा संपर्क करा कर कंगारू केयर देने और जन्म के 24 से 48 घंटे बाद ही स्नान करा कर शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।
निम्न लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें
उन्होंने कहा कि नवजात शिशु में खतरनाक लक्षण दिखाई पड़ने पर सिख न्यू बोर्न केयर यूनिट या स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर को दिखाना चाहिए। खतरनाक लक्षण के संबंध में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि नवजात में सांस लेने में तेजी या कठिनाई, बुखार या सामान्य रूप से शरीर में ठंडक, दूध पीने में कमी, सामान्य से कम शारीरिक गतिविधि, पूरे शरीर में पीलापन, दौरे आना या झटके आते हो तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
21 नवंबर को होगा हेल्दी बेबी शो
उन्होंने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय में आगामी 21 नवंबर को हेल्दी बेबी शो का आयोजन किया गया है। जिसमें हेल्दी बच्चे का पंजीकरण किया जाएगा और उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके साथ ही जनपद के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नवजात शिशु देखभाल के विषय में सेमिनार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर लालता प्रसाद, डब्ल्यूएचओ से डॉ ललिता चौहान, जिला प्रतिरक्षण अधिकारी महेंद्र सिंह, डॉ आर के गौतम, सूचना अधिकारी लाल बहादुर यादव, मनिंदर सिंह आदि मौजूद थे।