पांच किलोमीटर के दायरे में अलग-अलग रहते हैं पति और बेटा स्वर्ण मंदिर से अमृत चखने के बाद राजेंदर कौर घर में शराबखोरी का विरोध करने लगीं तो गुजरते वक्त के साथ पति त्रिलोचन सिंह से अनबन बढऩे लगी। करीब 14 साल पहले नौबत ऐसी आई कि राजेंदर कौर मीरपुर-कैंट का घर छोडक़र अपनी कमाई से लालबंगला के शक्तिपुरम में कोठी बनाकर रहने लगीं। कुछ समय बाद बेटे राजप्रीत ने प्रेम-विवाह किया तो राजेंदर कौर ने उसे भी घर से निकाल दिया। अलबत्ता बेटे की कमाई के लिए अपनी मेहनत से खड़े किए कारोबार से खुद को अलग कर लिया। मां के घर से दो किमी दूर शिवकटरा- दुर्गा हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले बेटे ने फैक्ट्री को संभाल लिया तो राजेंदर कौर ने कानपुर-लखनऊ हाई-वे पर उन्नाव सदर कोतवाली के शेखपुर नरी इलाके में छह बीघा जमीन खरीदकर हिमांचल प्रदेश की नामचीन शिक्षण संस्था अकाल अकादमी की फ्रैंचाइजी को स्थापित कर दिया।
दो साल में बंद हुई अकाल अकादमी, फिर बनाने लगीं जूतों के अपर सेल्फमेड वूमेन राजेंदर कौर की किसी कारण से अकाल अकादमी से पटरी नहीं खाई तो दो साल में स्कूल बंद हो गया। इसके बाद करीब 20 करोड़ रुपए की जमीन पर उन्होंने जूतों के अपर बनाने का कारखाना खोल दिया। कभी लालबंगला के शक्तिपुरम में तो कभी हाई-वे के सुनसान फैक्ट्री परिसर में राजेंदर कौर अकेले ही जिंदगी गुजरती थीं। कारखाने में आजकल ग्यारह मजदूर काम करने आते थे, जोकि शाम पांच बजे लौट जाते थे। प्रत्येक शनिवार को राजेंदर कौर मजदूरों का हिसाब करती थीं। यूं उन्होंने एक ड्राइवर नीरज तथा सुरक्षा गार्ड अमित त्रिवेदी को भी नियुक्त किया था, लेकिन ड्राइवर को कभी-कभार ही बुलाती थीं। आसपास जाने के लिए वह खुद ही कार चलाती थीं।
बेटी की बातचीत नहीं हुई तो परिचितों को मौके पर भेजा, जहां लाश मिली राजेंदर कौर सिर्फ अपनी बेटी हरमीत कौर से बात करती थीं। हरमीत की लखनऊ में शादी हुई है। गुुरुवार को शाम सात बजे के बाद हरमीत ने कई मर्तबा मां को फोन लगाया, लेकिन फोन कनेक्ट नहीं हुआ। ऐसे में उन्होंने अपने परिचित और भाजपा नेता शैलेंद्र त्रिपाठी से रात नौ बजे मदद मांगी। शैलेंद्र ने शक्तिपुरम स्थित घर को देखा तो वहां ताला लगा था। कुछेक सार्वजनिक कार्यक्रम निबटाने के बाद शैलेंद्र अपने भाई धमेंद्र और भतीजे गौरव त्रिपाठी के साथ हाई-वे के फैक्ट्री परिसर पहुंचे तो सुनसान सन्नाटे के बीच अंधेरे में एक स्थान पर हल्की रोशनी दिखी। उधर पहुंचे तो चीख निकल गई। फर्श पर राजेंदर कौर की रक्तरंजित लाश पड़ी थी।
सिर्फ बेटी के नजदीक थी, नाती के नाम करना चाहती थीं प्रापर्टी प्रथम दृष्टया राजेंदर कौर की हत्या में एक कारीगर रवि कुमार और गार्ड अमित त्रिवेदी का हाथ होने का संदेह है, लेकिन पुलिस प्रापर्टी के विवाद पर नजर रखे है। कारण यहकि राजेंदर कौर का केवल बेटी के प्रति झुकाव था, साथ ही विदेश में पढ़ रहे नाती से अक्सर बात करती थीं। चर्चा है कि राजेंदर अपनी समस्त संपत्ति अपने नाती के नाम करने वाली थीं। यह भी जानकारी मिली है कि राजेंदर छह दिन के लिए बेटी हरमीत के साथ अन्य महिलाओं को लेकर अमृतसर व चंड़ीगढ़ आदि घूमने गई थीं। 15 जुलाई को वापस आने के बाद से हाई-वे स्थित परिसर में अकेले रह रही थीं। दूसरी ओर, बेटे राजप्रीत ने आशंका जताई है कि पैसे के लालच में किसी कर्मचारी ने वारदात को अंजाम दिया है।
गार्ड ने फोन स्विच-ऑफ किया, पुलिस खोज में निकली पुलिस पड़ताल में मालूम हुआ कि आजकल फैक्ट्री में काम कम होने से 10 से 15 मजदूर ही आते थे। करीब 25 दिन पहले उन्नाव के तालिब सराय में रहने वाला ठेकेदार अफजल काम छोडक़र चला गया था। इसके साथ ही शेखपुर में रहने वाला श्रमिक आदित्य भी काम छोड़ दिया चुका है। पुलिस ने सभी को पूछताछ के लिए बुलाया है। अलबत्ता राजेंदर कौर की हत्या में पुलिस को सबसे ज्यादा संदेह सुरक्षा गार्ड अमित त्रिवेदी पर है। अमित को राजेंदर कौर ने कल ही ड्यूटी से हटाकर दोपहर में हिसाब किया था। पुलिस ने अमित से संपर्क किया तो पहले तो वह इलाहाबाद में पिता के इलाज के सिलसिले में होने की बात कहता रहा। बुलाने पर शाम तक आने का वादा किया, इसके बाद उसका फोन बंद हो गया। अब पुलिस टीम अमित के पैतृक निवास फतेहपुर जनपद के लिए निकली है। इस मामले में उन्नाव के एसपी हरीश कुमार ने बताया कि हर पहलू पर जांच जारी है, जल्द आरोपित पकड़े जाएंगे।