फाइलेरिया रोग कैसे फैलता है पढ़े फाइलेरिया रोग क्यूलेक्स पैटीगन्स मादा मच्छर के काटने से से होने वाला संक्रामक से होता है। जिससे सामान्यः हाथी पाव के नाम से जाना जाता है। क्युलेक्स मच्छर गंदे पानी में पनपते है। संक्रमित व्यक्ति को काट कर मच्छर संक्रमित हो जाते जो स्वस्थ व्यक्ति को काटकर संक्रमित कर देते है। संक्रमित व्यक्ति को हाथीपाव व हाइड्रोसील का खतरा रखता है।
फाइलेरिया के लक्षण निम्न है फाइलेरिया रोगी में बुखार-बदन में खुजली, पुरूषों के जननागों में तथा आस-पास दर्द या सूजन होना, हाथ व पैर में सूजन, हाथीपांव और हाइड्रोसील, अण्ड कोशों का असामान्य बड़ा होना, स्तनों का असामान्य बड़ा होना आदि है।
फाइलेरिया से रोकथाम व नियन्त्रण के लिए यह आवश्यक है मच्छरदानी का प्रयोग किया जाये। आस-पास साफ-सफाई रखी जाये। घर के आस-पास के गड्डों नाले नालियों में जल एकत्रित न होने दिया जाये। अभियान में फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खाऐ। यह दवा फाइलेरिया के परजीवी को मार देती है। मरते हुए परजीवियों के प्रतिक्रिया स्वरूप कभी-कभी सर दर्द, शरीर में दर्द, बुखार उल्टी तथा बदन पर चकत्ते एवं खुजली जैसी मामूली प्रतिक्रियाएें हो सकती है। इस तरह की परेशानी होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर चिकित्सक को दिखाया जाये।
गोली का सेवन निम्न विधि से करना है 2 से 5 वर्ष आयु के बच्चों को डीईसी की एक गोली 100 मिग्रा तथा 1 गोली अल्बेण्डाजाल 400 मिग्रा, 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को डीईसी की 2 गोली 100 मिग्रा, 01 गोली अल्बेण्डाजाल तथा 15 वर्ष व उससे ऊपर की आयु वाले व्यक्तियों को डीईसी की 03 गोली 100 मि0ग्रा0 तथा अल्बेण्डाजाल की 1 गोली खानी है। यह दवा खाली पेट नही खाना है। अल्बेण्डाजाल की गोली चबाकर खाना है। 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गम्भीर रूप से पीड़ित व्यक्तियों को नही खाना है। डी.ई.सी. की गोली वर्ष में केवल 1 बार व लगातार 5 से 6 वर्ष तक आयु वर्ग के अनुसार खानी चाहिए। इससे फाइलेरिया रोग से बचा जा सकता है।
फाइलेरिया की जांच सुविधा पुराना अस्पताल परिसर में चलो पुराना अस्पताल परिसर निकट रेलवे स्टेशन में संचालित फाइलेरियां जांच यूनिट में प्रत्येक बृहस्पतिवार को रात्रि में फाइलेरिया की निःशुल्क जांच सुबिधा प्रदान की जाती है। जहां मरीज फाइलेरिया की जांच कल आ सकता है।