वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक अमला मृतक परिजनों को समझाने का प्रयास कर रहा था कि उनके सामने कानूनी मजबूरी है। ऊपर से आए आदेश के अनुसार उन्हें शव को कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की कानूनी कार्रवाई करनी है। लगभग 6 घंटे से चल रहे अफरा-तफरी के माहौल में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को अपने मकसद में कामयाबी नहीं मिल पाई।
दुष्कर्म पीडि़ता के पिता के खिलाफ हुई मारपीट की घटना का चश्मदीद गवाह यूनुस पुत्र नन्हे निवासी माखी की लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई थी। मृतक की पत्नी सबीना खातून इस संबंध में पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर अपने पति यूनुस की बीमारी का दस्तावेज भी प्रस्तुत किया। सबीना के द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के आधार पर जिला प्रशासन यूनुस की मौत का कारण बीमारी मानकर चल रही है और इसी तरह की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दी, जो चलते-चलते सीबीआई तक पहुंची।
परंतु दुष्कर्म पीडि़ता के चाचा ने जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को शिकायती पत्र देकर मृतक यूनुस खान के शव का पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग की।
उन्होंने यूनुस की मौत को साजिश करार दिया। उन्होंने मौत के पीछे भाजपा विधायक के हाथ बताया। मामले को सीबीआई ने भी संज्ञान में लिया और उन्होंने डीजीपी से पूछताछ की। उत्तर प्रदेश पुलिस मामला सत्ता पक्ष के विधायक से जुड़ा होने के कारण बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। इस मामले में माखी थानाध्यक्ष व दरोगा सहित आधा दर्जन निलंबन की मार झेल रहे हैं और जेल के शिकंजे में हैं। ऐसे में पुलिस प्रशासन किसी प्रकार का जोखिम नहीं लेना चाहता है। उन्होंने यूनुस खान के शव को पोस्टमार्टम कराने का निर्देश मिलने के बाद शव को निकालने की कार्यवाही शुरू की, लेकिन प्रमुख गवाह के परिजन इसे मजहब विरोधी बता रहे हैं। परिजन ऐसा करने से रोक रहे हैं। फिलहाल प्रशासन को कब्र से शव निकालने में सफलता नहीं मिली है।