भट्टी की तरह सुलग रहा है मौसम, झुलसा देने वाली गर्मी से लोग परेशान, पारा 44 के पार
बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें, निकले तो यह उपाय करके...

उन्नाव. जब बहुत ही जरूरी काम हो कभी आप घर से निकले। वरना घर के अंदर ही रुके। सूर्य भगवान शरीर को झुलसाने वाली लपटें आपको विचलित कर सकती हैं। घर से निकलने के पहले आप अपनी तैयारी भी पूरी कर ले। खाली पेट तो कतई ना निकले।पानी भी भरपूर पीकर निकले। क्योंकि सूर्य भगवान आग के गोलों की वर्षा कर रहा है। भजन झुलसाने वाली तपिश से बचने के लिए आपको अन्य भी कई उपाय करने हैं। वरना बढ़ते टेंपरेचर में सड़क पर लोग गस्त खाकर गिर रहे हैं। सूर्य देवता का कहर का असर अस्पतालों में दिख रहा है। जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। डॉक्टर अनेक प्रकार की सलाह दे रहे हैं। वाट्स एप पर मैसेज भी वायरल हो रहे हैं कि भरपूर पानी का सेवन करें। इसके बाद भी मरीजों की संख्या कोई कमी नहीं आ रही। टेंपरेचर 44 डिग्री पार कर चुका है। आसमान से आग का गोला बरस रहा है। तो धरती से उठने वाली तपिश रहने वालों का जीवन दुश्वार किए हैं। गर्मी से अब तक एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
जिला अस्पताल में बेड की संख्या कम पड़ी
जिला अस्पताल मरीजों से पटा पड़ा है। जिस में तिल रखने की भी जगह नहीं है। एक बेड पर दो दो मरीजों का उपचार चल रहा है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने नर्सों की संख्या में वृद्धि की है और सभी वार्डों को खोल दिया गया है। इसके बावजूद मरीजों की संख्या अस्पताल की व्यवस्था को नाकाफी बता रहा है। अस्पताल प्रशासन जिला अस्पताल के अन्य विभागों में पड़े खाली बेड को अपने प्रयोग में लेने की तैयारी शुरू कर दी है। इमरजेंसी के 3 वार्डों में भी बेड की कमी है। दुर्घटना होने की स्थिति में और समस्या खड़ी हो जाती है। जिला अस्पताल में रोजाना दर्जनों की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। अब तक लगभग एक दर्जन मरीजों से ज्यादा की मौत हो चुकी है। जिसमें दो जुड़वा बहने भी शामिल है। जिन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में लाया गया था। रोजाना लगभग दो दर्जन मरीज जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसमें कई प्राथमिक उपचार के बाद वापस चले जाते हैं।
बेड के गद्दे गायब, मरीज परेशान
इसके साथ ही जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का भी बोलबाला है। इमरजेंसी में पड़े बेड के चद्दर गायब हो चुके हैं। बेड के गद्दे का खोल भी फट चुका है और अंदर का फाम बाहर झांक रहा है। किसी-किसी बेड में गद्दे का एक हिस्सा ही गायब हो चुका है। ऐसे समय जब मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही मरीजों को और भी परेशान कर रही है। इस संबंध में बातचीत करने पर अमित त्रिवेदी ने बताया कि बेड पर गद्दे टुकड़ों में डाले गए हैं। जिसमें लगभग 5 टुकड़े हैं। जिससे पूरा बेड कवर होता है। इसका एक छोटा टुकड़ा गायब हो चुका है। गद्दा का टुकड़ा गायब होने से उन्हें लेटने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही स्थिति लगभग सभी बेड की है।
सूर्य की किरणों से बचने के करें उपाय
डॉक्टरों का कहना है कि हीट स्ट्रोक यानी सूर्य की असहनीय लपटों से बचना है तो धूप में खाली पेट बिल्कुल ना निकले। घर से निकलने से पहले पानी भी खूब पीकर निकलना चाहिए। शरीर के ज्यादातर अंगों को बंद रखें करने का प्रयास करें। वह भी मोटे कपड़ों से। जिसमें तोलिया,. खद्दर के अंगोछा जैसे शामिल हो। डॉ अंशुमान अग्निहोत्री ने कहा कि मौसम के बढ़ते तापमान से बचने का प्रयास करना चाहिए। सूर्य की किरणों को सीधे शरीर पर गिरने से बचाना चाहिए। सूर्य की किरणें आंखों के लिए नुकसानदायक है। इसलिए काला चश्मा लगाकर चलें। उन्होंने कहा कि बासी भोजन का प्रयोग न करें। इसके साथ ही बाजारों में बिकने वाले खुले पेय पदार्थों का भी सेवन न करें। डॉ अग्निहोत्री ने कहा कि हीट स्ट्रोक में पेट में दर्द होता है, उल्टी के साथ लूज मोशन भी आता है। यह डायरिया का लक्षण है। इसमें तत्काल डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए।
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